किसानों का आरोप है कि उन्हें हटाने के लिए पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया है। कई तस्वीरें भी सामने आई हैं जिनमें पुलिस महिलाओं और किसानों को घसीटकर ले जा रही है।
नोएडा (Noida) के 81 गांवों के हजारों किसानों और महिलाओं ने अपनी कई मांगों को लेकर बुधवार को नोएडा प्राधिकरण (NOIDA Authority) के खिलाफ महाआंदोलन शुरू कर दिया। भारी हंगामे के बीच पुलिस ने धरना दे रहे करीब 300 किसानों को गिरफ्तार कर लिया। किसानों का आरोप है कि उन्हें हटाने के लिए पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया है। कई तस्वीरें भी सामने आई हैं जिनमें पुलिस महिलाओं और किसानों को घसीटकर ले जा रही है। उधर पुलिस का कहना है कि नोएडा में धारा 144 लागू है, इसके उल्लंघन के आरोप में किसानों को गिरफ्तार किया है। मौके पर बड़ी संख्या में फोर्स लगा दी गई है। Read Also:-Delhi Meerut Expressway: टोल का रेट कार्ड जारी, जानिए कब से शुरू होगी टोल टैक्स वसूली
दफ्तर के बाहर सड़क पर बैठ गए किसान
दरअसल नोएडा में जमीन अधिग्रहण के बदले प्लॉट और 64% अतिरिक्त मुआवजे की मांग समेत कुछ अन्य मांगों को लेकर 81 गांवों के किसानों ने बुधवार को नोएडा प्राधिकरण पर अनिश्चितकालीन धरने का एलान किया था। किसान 24 जुलाई से घर-घर जाकर किसानों को अपने साथ जोड़ रहे थे। किसान आंदोलन को लेकर पुलिस पहले ही चौकस थी, जिसके चलते धरने से पहले ही पुलिस ने 40 किसानों को हिरासत में ले लिया, लेकिन किसान पीछे नहीं हटे और 300 के करीब किसान और महिलाएं धरना देने नोएडा प्राधिकण पहुंच गए और दफ्तर के बाहर सड़क पर बैठ गए।
सूरजपुर पुलिस लाइन पहुंचा दिया
मौके पर मौजूद फोर्स ने किसानों को समझाया और धरना खत्म करने को कहा, लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे और नारेबाजी करने लगे। इसके बाद जब किसान नहीं माने तो पुलिस ने सख्ती के साथ किसानों को वहां से उठाया। किसानों को घसीटते हुए पुलिस ने वैन में बैठाया और सूरजपुर पुलिस लाइन पहुंचा दिया। नोएडा पुलिस के एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि जिले में धारा-144 लागू है। किसानों को इस धारा के उल्लंघन में गिरफ्तार किया जा रहा है। जितने भी किसान प्राधिकरण कार्यालय पर धरना दे रहे हैं, उन्हें भी गिरफ्तार करके पुलिस लाइन भेजा जा रहा
किसानों की चार मांग
पहली मांग : सुखबीर पहलवान ने कि प्राधिकरण ने किसानों के घरों के नाम पर नोएडा का नाम दर्ज कर दिया है। नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 1932 के बाद किसानों की कोई भी आबादी नहीं मानी। प्राधिकरण ने किसानों के घर पर अधिग्रहण कर लिया है। यह सिर्फ एक या दो गांव नहीं बल्कि नोएडा के 81 गांव का मामला है। प्राधिकरण के अंतर्गत 81 गांव आते हैं। सन 1932 के बाद नोएडा प्राधिकरण किसी भी किसान की आबादी को नहीं माना है। उन्होंने किसानों की आबादी को अधिग्रहण कर लिया है। उनकी मांग है कि 1932 के बाद की भी जमीन भी किसानों के नाम पर दर्ज हो।
दूसरी मांग : एक भाई को 5 प्रतिशत प्लॉट दिया जा रहा है और दूसरे भाई को 10 प्रतिशत प्लॉट दिया जा रहा है। दोनों एक ही बाप के बेटे हैं। दरअसल, सन 2011 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था। सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के अनुसार किसानों को 10 प्रतिशत प्लॉट और 64 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देने की बात कही थी। उस समय नोएडा प्राधिकरण ने कोर्ट के फैसले को मानते हुए विज्ञप्ति जारी की थी कि कोई भी किसान सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर ना जाएं। वह बिना किसी अपील के ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार सभी को 10 प्रतिशत प्लॉट और 64 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देंगे लेकिन 2 साल बाद नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया। प्राधिकरण ने 10 प्रतिशत प्लॉट देने से मना कर दिया। जब नोएडा प्राधिकरण ने जमीन देने से मना कर दिया तो किसान फिर सुप्रीम कोर्ट गए, वहां पर सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि आप की समय सीमा समाप्त हो चुकी है। उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति ने अपील डाली थी सिर्फ उसी को ही नोएडा प्राधिकरण ने 10 प्रतिशत प्लॉट दिया है, बाकी को कोई भी प्लॉट नहीं दिया है। नोएडा प्राधिकरण ने किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। Read Also : 1st September : आज से देश में लागू हो रहे ये बड़े बदलाव, आपकी जिंदगी से लेकर आपकी जेब पर पड़ेगा सीधा असर
तीसरी मांग : उन्होंने बताया कि हमारी तीसरी मांग रह हैं कि गांव में नक्शा नीति कामयाब नहीं है। क्योंकि सेक्टरों के लोगों का और गांव के लोगों का रहन सहन में काफी फर्क होता है गांव के लोग भैंस, जानवर, बोंगा और बिटोड़ा रखते है। जो सेक्टरों में नहीं होता है। नोएडा प्राधिकरण ने जबरदस्ती गांव पर भी नक्शा नीति लागू की, जिसको वापस लेना होगा।
चौथी मांग : जहां पर किसानों को 5 प्लॉट दिए गए। वहां पर किसानों को कमर्शियल गतिविधियां भी दी जाए, जिससे वह अपना छोटा मोटा रोजगार खोल सके। क्योंकि नोएडा प्राधिकरण ने उनकी खेती-बाड़ी को तो समाप्त कर दिया। किसानों की जमीन को अधिग्रहण करके उनको बेरोजगार कर दिया। अब दिए गए 5 प्रतिशत प्लॉट में वह कमर्शियल गतिविधियां खोलना चाहते हैं। जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों को कमर्शियल प्लॉट भी दिए गए लेकिन उसके लिए अतिरिक्त रूपए मांगा जा रहा है, वह रूपए इतने है कि किसान चुका नहीं सकता। उनकी मांग है कि किसानों को दिए गए कमर्शियल प्लॉट के लिए अतिरिक्त रूपए को माफ किया जाए।
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