Home Breaking News घर है न ठिकाना, लेकिन दोनों बने एक दूसरे का सहारा

घर है न ठिकाना, लेकिन दोनों बने एक दूसरे का सहारा

घर है न ठिकाना, लेकिन दोनों बने एक दूसरे का सहारा

यह रोमांचित कर देने वाली ऐसी जीती जागती कहानी है, जो भावुक भी करती है और संदेश भी देती है। 10 साल के अनाथ बालक और बेजुबान स्वान की दोस्ती इतनी प्रगाढ़ है कि दोनों एक दूसरे का सहारा बने हैं। बालक दिन में गुब्बारे बेचकर व चाय के स्टाल पर काम करके जो कमाता है, उससे अपना व स्वान के भोजन का प्रबंध करता है। रात में दोनों एक चादर में लिपटकर आसमान के नीचे सो जाते हैं।घर है न ठिकाना, लेकिन दोनों बने एक दूसरे का सहाराशहर में यह बालक गुब्बारे बेचते और चाय की दुकान पर काम करते देखा जा सकता है। उसके साथ एक स्वान (डैनी) भी दिखता है। बालक दिनभर जो कमाता है, उससे शाम को स्वान के लिए दूध-ब्रेड और अपने लिए खाने का प्रबंध करता है। शाम को दोनों एक चादर में सो जाते हैं। बालक और स्वान की सर्द रात में एक चादर में सोते हुए चित्र प्रकाशित किया तो पुलिस-प्रशासन ने तलाश शुरू की।

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