करीब दो करोड़ रुपये के राशन घोटाले में मेरठ पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दो अभियुक्तों को मंगलवार को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों ने पूर्ति कर्मचारियों संग मिलकर डेटा में हेराफेरी की और 900 उपभोक्ताओं का राशन निकाल लिया। इस मामले में अब तक पांच आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।
मेरठ में साल-2019 में राशन घोटाला सामने आया था। इस मामले में विभिन्न थानों में कुल 84 मुकदमे दर्ज हुए। इसकी जांच एसआईटी कर रही है, जिसमें क्राइम ब्रांच के तेज-तर्रार इंस्पेक्टर शामिल हैं। नियमानुसार हर उपभोक्ता को बायोमीट्रिक देने पर ही राशन मिलता है। लेकिन यहां मात्र 127 आधार कार्ड के जरिये करीब 27 हजार उपभोक्ताओं का राशन निकाल लिया गया। जांच में यह घोटाला करीब दो करोड़ रुपये का पुष्ट हो चुका है।
क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर महेश गौतम ने बताया कि मंगलवार को इस प्रकरण में जुल्फिकार निवासी जाकिर कॉलोनी और सादिक आलम निवासी रशीदनगर थाना लिसाड़ी गेट को गिरफ्तार किया है। जुल्फिकार पूर्व में डीएसओ कार्यालय में कम्प्यूटर ऑपरेटर रहा है। जबकि सादिक आलम के पिता की सरकारी सस्ते गल्ले की दुकन थी जो इस घोटाले में सस्पेंड हो गई। इंस्पेक्टर ने बताया कि दोनों आरोपियों ने पहले डीएसओ कार्यालय के कर्मचारियों की साठगांठ से कम्प्यूटर में हेराफेरी करना सीखा। इसके बाद डेटा से कुछ उपभोक्ताओं के आधार नंबर हटाकर अपने आधार नंबर फीड कर दिए। यह फर्जीवाड़ा करके उन्होंने अपनी बायोमीट्रिक से करीब 900 उपभोक्ताओं का राशन निकालकर कालाबाजारी कर दिया।
एसपी क्राइम रामअर्ज ने बताया कि इस पूरे फर्जीवाड़े में 127 आधार कार्ड का दुरुपयोग हुआ। ये 127 लोग कौन हैं, इसकी डिटेल आधार कार्ड बनाने वाले प्राधिकरण से मिल पाएगी। प्राधिकरण ने कोर्ट की अनुमति के बिना डिटेल्स साझा करने से इनकार कर दिया है। इसलिए पुलिस जल्द इस मामले में कोर्ट में अर्जी देगी। यदि सभी आधार कार्ड की डिटेल मिल जाए तो गिरफ्तारियां बढ़ सकती हैं।