पर्यावरण की अनदेखी से भविष्य में और भी विषाणु हो सकते हैं हमलावर

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वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जैविक संपदा को संरक्षित करने के लिए अधिक पेड़ लगाने होंगे। पशु-पक्षियों के लिए जंगल उगाने होंगे। कोविड 19 से अधिक घातक बीमारी के विषाणु अपना उचित निवास न मिलने पर पशु-पक्षियों से इंसानो में ये आ जाएंगे जो मनुष्य के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होंगे।

यह विचार वनस्पति विज्ञान विभाग आरजीपीजी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग व एमआईईटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में विश्वविख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर देवाशीष बनर्जी ने व्यक्त किए।

वहीं, यूएसए से निधि सिंह जिंदल ने ड्रग डिस्कवरी को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के लिए कम समय में दवाई तैयार की जा रही है। विवि की उपकुलपति प्रोफेसर वाई विमला ने हर्बल टेक्नोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी एवं नेनो टक्नोलॉजी द्वारा वातावरण शुद्ध करने पर जोर दिया। नेनो टक्नोलॉजी से विभिन्न रोगों से बचाव हो सकता है।

संरक्षक एवं कॉलेज प्राचार्य डॉ अर्चना शर्मा ने शुभकामनाएं दी। इसके अलावा डॉ. मीनू गुप्ता, डॉ शालिनी शर्मा एमआईईटी वेबिनार की कनवीनर रहे। समन्वयक डॉ. अमिता शर्मा ने भी विचार प्रस्तुत किए। सचिव डॉ गरिमा मलिक ने कार्यक्रम संचालन किया। दूसरे सत्र का संचालन डॉ शालिनी शर्मा ने किया।

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