बहुप्रतिक्षित शमन नीति के जारी होने के बाद मेरठ में भू-उपयोग परिवर्तन कर निर्माण करने वालों को बड़ा झटका लगा है। करीब दो साल से जनप्रतिनिधियों और नेताओं के आश्वासन और दबाव में चुप बैठे सरकारी विभागों को भी अब कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मेरठ का मामला हाईकोर्ट में भी लंबित है। ऐसे में शहर के 25 हजार से ज्यादा अवैध निर्माणों पर ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है।
आवास एवं विकास परिषद की शास्त्रीनगर योजना में सबसे ज्यादा अवैध निर्माण हैं। आवास विकास की स्वीकृत योजना पर अगर नजर डालें तो पूरा सेंट्रल मार्केट ही अवैध है। क्योंकि ये आवासीय प्लॉट थे, जिन पर अब पूरी तरह से व्यावसायिक निर्माण कराकर पूरा बाजार बन चुका है।
यही नहीं तेजगढ़ी चौराहा से एल ब्लॉक तिराहे तक मार्ग के दोनों और सर्विस लेन पर भी आवासीय प्लॉट थे। लेकिन यहां पर बड़े शोरूम के साथ बैंक, नर्सिंग होम आदि का निर्माण हो गया है। परिषद की आवासीय योजना जागृति विहार और माधवपुरम में भी आवासीय भूखंडों में व्यावसायिक निर्माण हो गए हैं।
एमडीए की आवासीय योजना गंगानगर, पल्लवपुरम, शताब्दीनगर, श्रद्धापुरी, पांडव नगर सहित अन्य जगहों पर आवासीय भूखंडों पर व्यावसायिक निर्माण हो गए हैं। इनकी संख्या 20000 से अधिक है।