कोरोना की तीसरी लहर के खतरे के बीच दो अच्छी खबर सामने आई है। पहली तो मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को 12-17 की उम्र के बच्चों के लिए यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) ने मंजूरी दे दी है। मॉर्डना की वैक्सीन फाइजर के बाद 2-17 की उम्र के बच्चों के लिए अप्रूवल पाने वाली दूसरी वैक्सीन बन गई है। उधर भारत में सितंबर से बच्चों को कोरोना वैक्सीन दी जा सकती है। दिल्ली AIIMS के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि तीन कंपनियों की वैक्सीन को अगस्त-सितंबर तक अप्रूवल मिलने की उम्मीद है।मार्डना की जिस वैक्सीन को यूरोपीय यूनियन की टॉप मेडिकल बॉडी EMA ने मंजूरी दी है उसका नाम स्पाइकवैक्स वैक्सीन रखा गया है। EMA ने कहा कि 12 से 17 साल की उम्र के बच्चों के लिए स्पाइकवैक्स वैक्सीन का इस्तेमाल 18 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों की तरह ही किया जाएगा। वैक्सीन के दो डोज दिए जाएंगे। इनके बीच 4 हफ्ते का ही अंतर रखा जाएगा।
बच्चों पर ट्रायल
EMA के मुताबिक, 12-17 साल के 3,732 बच्चों पर स्पाइकवैक्स का ट्रायल किया गया था। इसके रिजल्ट सकारात्मक मिले। इस दौरान पाया गया कि सभी के शरीर में अच्छी मात्रा में एंटीबॉडी बनीं। उतनी ही एंटीबॉडी 18 से 25 साल के लोगों में भी देखी गई थीं।
12 साल से कम उम्र के बच्चों पर भी ट्रायल जारी
इससे पहले मई में यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) ने फाइजर की वैक्सीन को 12-17 की उम्र के बच्चों के लगाने की मंजूरी दी थी। फाइजर ने अपनी वैक्सीन का ट्रायल 12 साल के कम उम्र के बच्चों पर भी शुरू कर दिया है। पहले चरण की स्टडी में कम संख्या में छोटे बच्चों को वैक्सीन की अलग-अलग डोज दी जाएंगी। इसके लिए फाइजर ने दुनिया के चार देशों में 4,500 से अधिक बच्चों को चुना है।
बच्चों पर कई कंपनियां वैक्सीन ट्रायल कर रहीं
इसी साल मई में एस्ट्राजेनेका ने 6 से 17 साल तक के बच्चों पर ब्रिटेन में स्टडी शुरू की थी। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) ने भी स्टडी शुरू कर दी है। चीन की सिनोवैक ने 3 साल तक के बच्चों पर भी अपनी वैक्सीन को असरदार बताया है।
भारत में तीन कंपनियों को मिल सकता है अप्रूवलदिल्ली AIIMS के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि तीन कंपनियों की वैक्सीन को अगस्त-सितंबर तक अप्रूवल मिलने की उम्मीद है। इससे बच्चों को संक्रमण के खतरे से बचाया जा सकता है। इससे वायरस की ट्रांसमिशन चेन तोड़ने में मदद मिलेगी।NDTV के हवाले से डॉ गुलेरिया ने कहा कि, जायडस ने ट्रायल पूरे कर लिए हैं और इमरजेंसी ऑथराइजेशन का इंतजार है। भारत बायोटेक के कोवैक्सिन ट्रायल भी अगस्त-सितंबर तक पूरे हो जाने की उम्मीद है। तब तक इस वैक्सीन को अप्रूवल भी मिल जाएगा। फाइजर वैक्सीन को अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने पहले ही अप्रूव कर दिया है। ऐसे में उम्मीद है कि सितंबर से हम बच्चों को वैक्सीन लगाना शुरू कर देंगे।
बच्चों से बड़ों को संक्रमण फैलने का खतरा
‘द लैंसेट’ ने इस हफ्ते की शुरुआत में एक स्टडी पब्लिश की थी, जिसके मुताबिक, 11 से 17 साल के बच्चों के साथ रहने पर बुजुर्गों को संक्रमण का खतरा 18% से 30% बढ़ जाता है। यही एक बड़ी वजह है कि लोग बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर चिंतित हैं।