उत्तर प्रदेश पुलिस की इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान (Inspector Laxmi Singh Chauhan) समेत सात पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार और गबन (corruption and embezzlement) के आरोप से मुक्त कर दिया है।
Ghaziabad : विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ (Special Judge Corruption Prevention Act Meerut) ने उत्तर प्रदेश पुलिस की इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान (Inspector Laxmi Singh Chauhan) समेत सात पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार और गबन (corruption and embezzlement) के आरोप से मुक्त कर दिया है। गाजियाबाद के थाना लिंक रोड में बतौर कोतवाली प्रभारी की तैनाती के दौरान लक्ष्मी सिंह चौहान और उनकी टीम पर 70 लाख रुपये के गबन का आरोप लगा था। Read Also:-मसूरी : वीकेंड पर जाने वाले पर्यटकों पर होगी सख्ती, कोरोना निगेटिव रिपोर्ट दिखने पर ही मिलेगी एंट्री
वर्ष 2019 में मुकदमा दर्ज कराया था
मेरठ के एडीजीसी (क्रिमिनल) महेंद्र सिंह ने बताया कि पीड़ित राजीव सचान ने वर्ष 2019 में मुकदमा दर्ज कराया था कि गाजियाबाद लिंक रोड कोतवाली प्रभारी लक्ष्मी सिंह चौहान, उपनिरीक्षक नवीन पचौरी, कांस्टेबल बच्चू सिंह, फ़राज़, धीरज भारद्वाज, सौरभ कुमार और सचिन शर्मा ड्यूटी पर तैनात थे। पीड़ित ने एफआईआर में आरोप लगाया था की इन 7 पुलिसकर्मियों ने उसे चेकिंग के नाम पर रोक कर उससे करीब एक करोड़ रुपये से अधिक बरामद किये थे और बाद में बरामद रुपयों में से 70 लाख रुपये कम दिखाकर उनसे मात्र 20 लाख और उसके साथी से करीब 25 लाख रुपयों की बरामदगी दिखाई थी।
वर्दी पर लगा हुआ दाग धुल गया
इस पर तत्कालीन एसएसपी गाजियाबाद में मामले की जांच कर रही पुलिस टीम को मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश देते हुए सभी आरोपी पुलिस कर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। अब मामले के करीब 2 साल बाद मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट के विशेष न्यायाधीश- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट संख्या- दो ने सुनवाई के बाद इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान समेत सभी सात पुलिसकर्मियों को गबन और भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी कर दिया है। न्यायालय के इस फैसले से यूपी पुलिस की वर्दी पर लगा हुआ दाग धुल गया है।
यह था मामला
जानकारी के मुताबिक कोतवाली लिंक रोड क्षेत्र के एटीएम से सीएमएस (सुरक्षा कंपनी) के कर्मचारियों के साथ मिलकर गबन की साजिश रची गई थी। आरोप था कि इस केस में 24/25 सितंबर 2019 की रात लक्ष्मी चौहान ने अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर राजीव सचान और आमिर को गिरफ्तार कर इनके पास से 45,81,500 रुपये की बरामदगी दिखाई थी। बाद में इस मामले में साहिबाबाद के सीओ राकेश कुमार मिश्र ने गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ की तो पता चला था कि लक्ष्मी सिंह चौहान और उनकी टीम ने राजीव सचान से करीब 55 लाख रुपये और आमिर से 60 से 70 लाख रुपये बरामद गए थे।
यह था मामला
जानकारी के मुताबिक कोतवाली लिंक रोड क्षेत्र के एटीएम से सीएमएस (सुरक्षा कंपनी) के कर्मचारियों के साथ मिलकर गबन की साजिश रची गई थी। आरोप था कि इस केस में 24/25 सितंबर 2019 की रात लक्ष्मी चौहान ने अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर राजीव सचान और आमिर को गिरफ्तार कर इनके पास से 45,81,500 रुपये की बरामदगी दिखाई थी। बाद में इस मामले में साहिबाबाद के सीओ राकेश कुमार मिश्र ने गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ की तो पता चला था कि लक्ष्मी सिंह चौहान और उनकी टीम ने राजीव सचान से करीब 55 लाख रुपये और आमिर से 60 से 70 लाख रुपये बरामद गए थे।
एंटी-करप्शन कोर्ट में मामला चल रहा था
इस तरह एटीएम से गबन मामले में बरामद करीब एक करोड़ रुपये से अधिक रुपयों में से 70 लाख रुपये गायब करने का आरोप इन पुलिसकर्मियों पर लगा था। मामले की जांच के दौरान एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था जिसमें एसएचओ लक्ष्मी सिंह चौहान सरकारी गाड़ी से प्राइवेट गाड़ी में एक बैग रखते हुए दिखाई पड़ी थीं जिसके बाद सभी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मेरठ की एंटी-करप्शन कोर्ट में मामला चल रहा था।
पूरे थाने पर लगा था आरोप
बरामद रुपयों में अंतर पाए जाने पर कोतवाली लिंक रोड प्रभारी लक्ष्मी सिंह चौहान, एसआई नवीन कुमार पचौरी और पांच कांस्टेबल बच्चू सिंह, फराज, धीरज भारद्वाज, सौरभ कुमार और सचिन कुमार की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। तत्कालीन एसएसपी ने इन सभी को पुलिस की छवि धूमिल करने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था और मामले की जांच के आदेश दिए थे। इस दौरान कुछ पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया था जबकि कुछ ने न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था। इस मामले में लक्ष्मी सिंह चौहान को रिमांड पर लेकर भी पूछताछ की थी।
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