डिजिटल दुनिया में आजकल सब कुछ ऑनलाइन किया जा रहा है। अगर किसी को भुगतान करना है, तो यह सेकंड में किया जाता है। बिजनौर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें तहसीलदार का ड्राइवर माफिया से गूगल पे, फोन पे, पेटीएम के जरिए रिश्वत लेता था। उसने रिश्वत के पैसे भी अपने खाते में ट्रांसफर नहीं करवाए। इसके लिए उसने अपनी पत्नी के खाते का इस्तेमाल किया। तहसीलदार ने मामले का संज्ञान लेते हुए चालक को निलंबित कर दिया है।Read Also;-मेरठ : बेहद शर्मनाक, सौतेला पिता बना हैवान, बेटी को बंधक बनाकर 10 दिन तक किया दुष्कर्म
दरअसल जैसे जैसे हाईटेक का जमाना हो रहा है सरकारी कर्मचारी भी नई तकनीक से रिश्वत लेते नजर आ रहे हैं। ताजा मामला बिजनौर के धामपुर इलाके का है जहां खनन माफिया से सांठगांठ के आरोप में सुर्खियों में आए तहसीलदार का चालक खनन माफिया से पिछले दो वर्षों से लाखों रुपये की राशि पत्नी के बैंक खाते में जमा करा रहा था।
इतना ही नहीं, तहसीलदार के चालक ने खनन माफिया से ईमानदारी से रिश्ता निभाते हुए ऑनलाइन गूगल पे, फोन पे, पेटीएम और चेक के माध्यम से सुविधा शुल्क जमा कर ओवरलोड खनन माफिया के वाहन की एंट्री भी दर्ज करायी। अब जांच में फंसे शातिर चालक के कारनामे धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं।
पिछले 2 साल से रिश्वत ले रहा था
नदीम अहमद धामपुर तहसीलदार के सरकारी वाहन पर पिछले 3 साल से चालक के रूप में कार्यरत है। बताया जाता है कि खनन माफिया के संबंध तहसीलदार के चालक नदीम से इतने मधुर हो गए कि खनन माफिया ने बड़े अधिकारियों को दी जाने वाली सुविधा शुल्क की राशि धामपुर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के चालक नदीम की पत्नी शाहाना और नदीम के संयुक्त खाते में जमा पिछले २ सालो से जमा करवा रहे थे। । इतना ही नहीं, खनन माफिया और चालक के बीच इतना सौहार्दपूर्ण और गहरा संबंध स्थापित हो गया कि रिश्वत के पैसे कई बार चेक के जरिए भी लिए गए।
एक गाड़ी के 2500 रुपए महीना लेता था
ओवरलोड माइनिंग वाहनों को प्रतिमाह प्रवेश देने के एवज में खनन करने वालों से 2.5 हजार प्रति वाहन रुपये वसूले जाते थे। खनन माफियाओं से मिलने वाली सुविधा शुल्क के बदले ड्राइवर द्वारा जब कभी भी उच्च अधिकारियों का दबाव तथा छापेमारी होने से पहले सतर्क कर देता था। निर्धारित बंधी राशि का भुगतान करने के बाद निडर खनन माफिया, के ओवरलोड वाहन दिन-रात जिले की सड़कों पर दौड़ रहे थे। करीब 21 लाख रुपये का लेन-देन सामने आने के बाद ही पिछले दो साल में तहसीलदार के ड्राइवर और उसकी पत्नी के बैंक खाते में हड़कंप मच गया है।
रहस्य कैसे खुला ?
तहसीलदार कमलेश कुमार जब भी छापेमारी करने जाते थे तो चालक नदीम की जगह किसी और कर्मचारी को लेकर निकल जाते थे। चालक को तहसीलदार की छापेमारी की जानकारी नहीं थी, जिसके कारण वह खनन माफिया को सचेत नहीं कर पा रहा था और पिछले 10 दिनों से बड़ी संख्या में ओवरलोड खनन से भरे कई डंपरों पर तहसीलदार द्वारा कार्रवाई की जा रही थी।
खनन माफियाओं पर लगातार कार्रवाई कर रहे थे तहसीलदार
खनन माफिया पर तहसीलदार द्वारा की जा रही कार्रवाई से खनन माफिया के होश उड़ गए। बताया जाता है कि तहसीलदार को उनके बयानों में चालक नदीम द्वारा प्रति वाहन सुविधा शुल्क के भुगतान के संबंध में सूचित किया गया था, तब उन्होंने पूरे मामले की जांच की, जिसमें चालक नदीम के खिलाफ आरोपों की पुष्टि हुई। इसी के चलते चालक नदीम को निलंबित करने की कार्यवाही तहसीलदार कमलेश कुमार ने की।
वहीं धामपुर के तहसीलदार कमलेश कुमार का कहना है कि आरोपित चालक नदीम और उसकी पत्नी के संयुक्त बैंक खाते में पिछले दो साल में ही 21 लाख रुपये जमा किए गए हैं। इसमें उनके वेतन खाते से कुछ पैसे भी ट्रांसफर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नदीम और उनकी पत्नी के संयुक्त पंजाब नेशनल बैंक खाते का विवरण प्राप्त कर गहन जांच की जा रही है। आरोपी चालक को निलंबित करने की सिफारिश की है।
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