कोरोना संक्रमितों की जांच करने वालों को अब संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा। आइआइटी के नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स के विशेषज्ञों ने स्टिक हैंडहेल्ड इंफ्रारेड थर्मामीटर बनाया है, जिसे छह फीट तक बढ़ाया-घटाया जा सकता है। स्टिक का एक छोर मरीज की ओर रहेगा जबकि दूसरे छोर पर मोबाइल स्क्रीन पर तापमान दिखेगा।
संस्थान ने इसे पेटेंट कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।कोराेना वायरस से जंग में आइआइटी के विशेषज्ञ लगातार बचाव के उपकरण बना रहे हैं, अबतक मिनी वेंटिलेटर से लेकर सैनिटाइजर मशीन आदि बना चुके हैं। वहीं अब ऐसा थर्मामीटर बनाया है, जिससे जांच के समय संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन हो सकेगा।
अभी कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए इंफ्रारेड थर्मामीटर का इस्तेमाल होता है। यह बुखार होने या शरीर का तापमान अधिक होने की जानकारी देता है। इससे महज दो सेकेंड में ही रीङ्क्षडग सामने आ जाती है। कई देसी-विदेशी कंपनियां इनका उत्पादन कर रही हैं। सभी अपने आप में कारगर हैं, लेकिन रीङ्क्षडग के लिए मत्थे के करीब 10 सेंमी तक ले जाना जरूरी होता है। इतने पास जाने पर तापमान लेने वाले को संक्रमण का खतरा रहता है। ऐसे में आइआइटी की ये तकनीक बेहद फायदेमंद है।