मजीदी का दावा है कि इस मीटिंग का एक वीडियो उनके पास है, जिसके आधार पर वे कह सकते हैं कि पीएफआई व अजमेर शरीफ दरगाह के ख़ादिम भारत में तालिबान की एंट्री करवाना चाहते हैं।
सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ने अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम सरवर चिश्ती पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सूफी मजीदी ने कहा है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की मीटिंग के बाद से ये लोग पाकिस्तान के जरिये भारत में तालिबान की एंट्री करवाना चाहते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि सरवर चिश्ती कई महीनों तक पाकिस्तान में रहते हैं। ऐसे में देश की सुरक्षा एजेंसियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
मजीदी का कहना है कि 10 अगस्त को ओखला के रिवर व्यू होटल में PFI की एक मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में अजमेर शरीफ दरगाह के ख़ादिम सरवर चिश्ती, सज्जाद नोमानी और ओबेदुल्ला आज़मी सहित कई प्रमुख चेहरे शामिल हुए थे। सरवर चिश्ती ने उस मीटिंग में PFI को मुसलमानों का बहादुर संगठन बताया था। मजीदी का दावा है कि इस मीटिंग का एक वीडियो उनके पास है, जिसके आधार पर वे कह सकते हैं कि पीएफआई व अजमेर शरीफ दरगाह के ख़ादिम भारत में तालिबान की एंट्री करवाना चाहते हैं।
“आईएसआई और तालिबान में अंतर नहीं”
वीडियो में सरवर चिश्ती द्वारा उन तथ्यों को अपनाने पर जोर दिया गया था जिनका भारत की स्थिति से कोई संबंध नहीं है। बैठक के दौरान उन्होंने वर्षों तक पाकिस्तान में गजवा हिन्द आंदोलन को चलाने वाले इसरार कासमी का समर्थन भी किया है। उन्होंने कहा कि नामचीन हस्तियों द्वारा तालिबान को समर्थन देना मुस्लिम समुदाय के दिल मे उसके लिए हमदर्दी पैदा कराना है। आईएसआईएस और तालिबान में कोई अंतर नहीं है, सिर्फ झंडे का रंग बदला है।
सरवर चिश्ती की सफाई
वहीं सरवर चिश्ती ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हम सूफी हैं, पाकिस्तान और दूसरी जगह पर हम जाते हैं। हम तालिबान की मुखालफत करते हैं। इसको लेकर मैं पहले भी अपना वीडीयो जारी कर चुका हूं।