मेरठ शहर में हाउस टैक्स की वसूली में बड़ा खेल सामने आया है. नगर निगम शहर में 2.44 लाख भवनों से गृह कर वसूल कर रहा है, जबकि जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) सर्वेक्षण में केवल 30 वार्डों में 2,26193 घर मिले हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि भवनों से टैक्स क्यों नहीं वसूला जा रहा है। निगम के रिकॉर्ड में मात्र 29 हजार भवन व्यवसायिक हैं। यह बात तब है जब की शहर के कई रिहायशी इलाके बाजारों में तब्दील हो गए हैं।Read Also:-अगले 4 में से 3 दिन बैंक बंद रहेंगे: कल और परसों चलेगी हड़ताल, फिर रविवार, अगले हफ्ते भी कई छुट्टियां
शहर में 90 वार्ड हैं। नगर निगम करीब 2.44 लाख भवनों से औसतन 40 करोड़ रुपए सालाना का हाउस टैक्स वसूल कर रहा है। हाउस टैक्स की वसूली बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने मेरठ नगर निगम क्षेत्र का एक कंपनी से जीआईएस सर्वे करवाया है। कंपनी अब तक 30 वार्डों की रिपोर्ट सौंप चुकी है। इस सर्वे में हाउस टैक्स वसूली में गड़बड़ी सामने आई है।
आवासीय भवन को कमर्शियल में बदला, टैक्स नहीं बदला
शहर के रिहायशी इलाकों में दुकानें, अस्पताल, मंडप आदि का संचालन तेजी से हो रहा है। शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट, जागृति विहार, गंगानगर, पल्लवपुरम, कंकरखेड़ा, सोतीगंज, शारदा रोड, बागपत रोड, किला रोड, दुकानों आदि सहित अधिकांश क्षेत्रों में। निगम अधिनियम के अनुसार, आवासीय और वाणिज्यिक भवनों के गृह कर के बीच कई गुना अंतर है। शहर में कम से कम दो लाख से अधिक दुकानें और अन्य व्यावसायिक इमारतें हैं। निगम के रिकॉर्ड में अभी यह संख्या 29 हजार ही है।
सोतीगंज में भी गड़बड़ी
सोतीगंज का एक बड़ा रिहायशी हिस्सा भी कमर्शियल में तब्दील कर दिया गया है, लेकिन यहां नगर निगम ने वसूली की दरों में कोई बदलाव नहीं किया।
टैक्स नोटिस भेजना शुरू
शहर के वार्ड एक, छह, 36, 46 के भवन मालिकों को हाउस टैक्स लगाने से पहले नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नोटिस के बाद भवन स्वामी नगर निगम पहुंचकर स्वकर का फार्म भरकर गृह कर निर्धारण करा सकेंगे।
इन वार्डों का जीआईएस सर्वे हो चुका है
01, 08, 11,15, 16,17, 18, 19, 21, 25, 26, 27, 32, 36, 44, 45, 46, 52, 55, 68, 73, 74, 77, 79, 82, 86, 87, 88
महानगरीय जनसंख्या – 20 लाख
- गृह कर से प्रतिवर्ष राजस्व वसूली-निगम में 40 करोड़ पंजीकृत व्यवसायिक भवन- 29 हजार
- निगम में पंजीकृत आवासीय भवन – 2.15 लाख
छह महीने में बढ़ेगा टैक्स का दायरा
मेरठ ही नहीं अन्य शहरों में भी टैक्स की स्थिति को देखते हुए सरकार ने जीआईएस सर्वे शुरू किया है। अब सर्वे रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर भवन निकल रहे हैं। नगर निगम को छह महीने के भीतर दोगुना हाउस टैक्स मिलने की उम्मीद है। – अवधेश कुमार, मुख्य आकलन अधिकारी, नगर निगम
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