मेरठ में इंचौली पुलिस ने सोमवार को ट्यूबवेल पर लगी तमंचा फैक्ट्री को पकड़ा है। मुखबिर की सूचना पर सीओ सदर देहात व एसओ ने छापेमारी की। यहां से बड़ी संख्या में आग्नेयास्त्र और आधे-अधूरे हथियार बरामद किए गए हैं। यह गिरोह पिछले दो महीने से अवैध हथियार बना रहा था।Read Also:-मेरठ: शहर की खूबसूरती बढ़ाएगा ये सेल्फी प्वाइंट : कमिश्नर कार्यालय के बाहर लगा I LOVE MEERUT स्ट्रक्चर
पूछताछ में पता चला कि गिरोह का सगना अवैध हथियार बनाने के आरोप में पहले ही जेल जा चुका है। मेरठ के अलावा शामली और मुजफ्फरनगर जिलों में भी मांग के मुताबिक तमंचों की बिक्री हो रही थी। गिरोह के सरगना समेत 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि एक फरार हो गया है।
पहले पार्टी करते थे और फिर बनाते थे तमंचा
एसएसपी प्रभाकर चौधरी के निर्देश पर सीओ सदर देहात पूनम सिरोही व एसओ इंचौली शौपाल सिंह ने रविवार रात 2.30 बजे छापेमारी की तो तमंचों को धान की पुराल में छिपाकर रखा गया था। जिसके बाद पुलिस ने उनके पास से 15 पिस्टल, 4 बंदूकें बरामद की हैं। बंदूकें 315 बोर और 12 बोर की हैं। जबकि 50 से ज्यादा हथियार अधबने हैं। मौके से ड्रिल मशीन, खराद मशीन और पिस्तौल बनाने के अन्य उपकरण भी बरामद किए गए हैं। पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि शाम के बाद ट्यूबवेल पर पार्टी करने के बाद रात में तमंचे और बंदूकें बनाते थे।
सुल्तान तमंचा बनाने में माहिर है
सीओ पूनम सिरोही ने बताया कि 8वें फेल सुल्तान बंदूकें बनाने में माहिर हैं। इससे पहले वह मेरठ के फलावडा थाने से अवैध हथियार सप्लाई करने के आरोप में जेल जा चुका था। सुल्तान ने बिसौला निवासी पिंकल से दोस्ती कर ली। उनसे कहा कि जंगल में कहीं जगह मिलेगी तो तमंचों की सप्लाई से एक माह में 70 से 80 हजार रुपये मिलेंगे।
तमंचे बनाने में खुद पिंकेल भी शामिल हो गया। उसके ट्यूबवेल पर ही तमंचे बनाने का काम शुरू किया गया था। आरोपी एक तमंचा तीन हजार रुपए और एक बंदूक आठ हजार रुपए में बेचता था। इसके लिए सारा सामान दिल्ली से लाया गया था। आरोपियों ने दो माह में करीब 50 तमंचे की सप्लाई करने की बात बताई है।
पैसे बांटते थे और फिर पार्टी करते थे
सीओ का कहना है कि पुलिस उन लोगों की भी तलाश कर रही है, जिन्हें तमंचा बेचा गया है। जो भी पैसा आता था, सब आपस में बांटते और पार्टी करते थे। दिन में किसी को शक न हो इसलिए पिंकेल खेती करता था। अन्य लोग दिन में अपने घरों में रहते थे। लेकिन गांव और मोहल्ले में सब को पता था कि शाम को वे लोग फैक्ट्री में काम पर जाते हैं। आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग थानों में 19 मामले दर्ज हैं।
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