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अफगानिस्तान में तालिबानी शासकों के नाम तय, देश को चलाने के लिए 12 सदस्यों वाली काउंसिल का गठन

अफगानिस्तान में तालिबानी शासकों के नाम तय, देश को चलाने के लिए 12 सदस्यों वाली काउंसिल का गठन
दरअसल तालिबान और अमेरिका के बीच समझौता हुआ है जिसके तहत वो 31 अगस्त तक पूर्ण सरकार नहीं बना सकता, इसलिए उसने फिलहाल अंतरिम सरकार बनाई है।

अफगानिस्तान में तालिबानी शासकों के चेहरे सामने आ गए हैं। तालिबान ने मंगलवार को देश को चलाने के लिए 12 सदस्यों वाली एक काउंसिल का गठन किया है। हालांकि अभी 7 नामों का ऐलान ही किया गया है, जबकि पांच नाम अभी तय होने बाकी हैं। दरअसल तालिबान और अमेरिका के बीच समझौता हुआ है जिसके तहत वो 31 अगस्त तक पूर्ण सरकार नहीं बना सकता, इसलिए उसने फिलहाल अंतरिम सरकार बनाई है।

इस अंतरिम सरकार में अब्दुल गनी बरादर (तालिबान का सह-संस्थापक), मुल्ला याकूब (तालिबान संस्थापक के बेटे), खलील-उर-रहमान हक्कानी (हक्कानी नेटवर्क-आतंकी समूह), डॉ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला (पूर्व प्रधानमंत्री), हामिद करजई (पूर्व राष्ट्रपति), हनीफ अतमार और गुलबुद्दीन हेकमतयार का नाम शामिल है। सूत्रों का कहना है कि ‘राष्ट्रपति और अमीरात के अलावा तालिबान 12 सदस्यीय काउंसिल के साथ अफगानिस्तान पर शासन करेगा।’ हक्कानी अमेरिका के मोस्टवांटेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल है। उस पर 50 लाख डॉलर का इनाम भी है

तालिबानी लड़ाकों का सफाया करने वाले गुल आगा शेरजई वित्तमंत्री बनाए गए

तालिबान ने मंगलवार को अपनी अंतरिम सरकार के कई मंत्रियों का ऐलान किया है। खास बात यह है कि संगठन ने किसी समय तालिबान के कट्‌टर विरोधी रहे गुल आगा शेरजई को वित्तमंत्री नियुक्त किया है। शेरजई पहले कंधार और फिर नंगरहार के गवर्नर रहे हैं।तालिबान के खिलाफ लड़ाई में वे CIA के प्रमुख सहयोगी थे। उन्हें तालिबान का कसाई भी कहा जाता है। कंधार का गवर्नर रहते हुए उन्होंने तालिबान के सफाए में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने नंगरहार का गवर्नर रहते हुए सड़क निर्माण कराए थे, जिसकी वजह से उन्हें अफगानिस्तान का बुलडोजर कहा जाता है। कुछ दिन पहले ही शेरजई ने तालिबान के प्रति निष्ठा की कसम खाई थी। वे अफगानिस्तान के ऐसे बड़े नेताओं में हैं, जो पहले तालिबान के कट्टर विरोधी थे, लेकिन अब तालिबान के साथ हैं।

सद्र इब्राहिम को अंतरिम गृह मंत्री बनाया

तालिबान ने मुल्ला सखाउल्लाह को कार्यवाहक शिक्षा मंत्री और अब्दुल बारी को उच्च शिक्षा मंत्री बनाया है। सद्र इब्राहिम को अंतरिम गृह मंत्री बनाया गया है। वहीं, मुल्ला शिरीन को काबुल का गवर्नर और हमदुल्ला नोमानी को काबुल का मेयर बनाया गया है।

तालिबान ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस, दुनिया को दिया मैसेज

मंगलवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इस दौरान उसने अमेरिका को चेतावनी दी। जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि 31 अगस्त तक किसी भी हाल में नाटो की सेना अफगानिस्तान छोड़कर चली जाए। हम इसकी समय सीमा नहीं बढ़ाएंगे। उधर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा है कि 31 अगस्त के डेडलाइन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हमें विश्वास है कि हम इसे महीने के अंत तक इसे पूरा कर लेंगे।

काबिल लोगों को न ले जाए अमेरिका

जबीहुल्ला मुजाहिद ने प्रेसवार्ता में अमेरिका से कहा कि वो अफगानिस्तान के काबिल लोगों (डॉक्टरों, इंजीनियरों और पढ़े लिखे वर्ग को) को ना लेकर जाए। उसने कहा कि एयरपोर्ट पर अफरातफरी के माहौल है, इसी वजह से वो अफगान नागरिकों को एयरपोर्ट नहीं जाने दे रहे हैं। तालिबान ने अफगान नागरिकों से कहा है कि वो देश छोड़कर ना जाएं। मुजाहिद ने देश छोड़ चुके अफगानी नेताओं को लेकर कहा कि हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है और न हमनें ऐसे लोगों की कोई सूची ही बनाई है। जो लोग देश छोड़कर बाहर गए हैं, वे लौट आएं। हमनें अतीत की सभी बातों को भूला दिया है।

अफगानिस्तान का राष्ट्र निर्माण करना चाहते हैं

मुजाहिद ने कहा कि हम एक नई व्यवस्था, नई सरकार बनाना चाहते हैं और अफगानिस्तान का राष्ट्र निर्माण करना चाहते हैं। उसने काबुल से सभी बैरियरों को हटाए जाने और बुधवार से बैंकों के खुलने की घोषणा भी की। जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि तालिबान पंजशीर के मुद्दे का शांतीपूर्ण समाधान चाहता है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी के प्रमुख से मुल्ला बरादार की मीटिंग के सवाल पर उन्होंने किसी भी जानकारी से इनकार किया। मुजाहिद ने दूसरे देशों के दूतावास को सुरक्षा का आश्वासन देते हुए कहा, हम नहीं चाहते कि विदेशी दूतावास बंद हों या काम बंद करें।

महिलाओं के काम करने पर स्थायी रोक नहीं लगाएंगे

जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि महिलाओं को अभी अपनी सुरक्षा के लिए घरों में ही रहना चाहिए। तालिबान महिलाओं के काम करने पर स्थायी रोक नहीं लगाएगा। उसने दावा किया कि तालिबान ने न तो किसी के घर की तलाशी ली और न ही किसी को निशाना बनाया है।

G7 देशों की तालिबान को दो टूक, 31 अगस्त के बाद भी अफगानिस्तान में फंसे लोगों को निकालेंगे

दुनिया की 7 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों (G7) ने सोमवार को तालिबान से साफ शब्दों में कहा के वे 31 अगस्त के बाद भी अफगानिस्तान में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी रखेंगे। तालिबान से बस इतना कहना है कि वो सुरक्षित रास्ता दे। समूह में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान के देश शामिल हैं।समूह ने कहा कि हम अफगानिस्तान के लोगों के सुरक्षित जीवन के लिए प्रतिबद्ध हैं। अफगानिस्तान के लोग सम्मान, शांति और सुरक्षा के साथ जीने का अधिकार रखते हैं। हमारी कोशिश होगी कि महिलाओं के अधिकारों समेत आतंकवाद और मानवाधिकार पर तालिबान को जवाबदेह बनाया जाएगा। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय नए सिरे से अपने प्रयास शुरु करेगा। संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का भी हमारा पूरा समर्थन रहेगा। वहीं यूरोपीय संघ ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने तक काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना तैनात रखने की मांग की है।

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