पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के लाभार्थियों के कवरेज का विस्तार करने की तैयारी चल रही है। इस योजना के तहत वर्तमान में 55 करोड़ लोगों को लाभ मिल रहा है, अब यह संख्या बढ़कर 80 करोड़ हो सकती है।
लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए इस योजना को राशन कार्ड से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। इस कदम से लाभार्थियों की ट्रैकिंग भी संभव हो सकेगी। इसको लेकर राज्यों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की कई दौर की बैठक भी हो चुकी है। संभव है कि इसकी घोषणा योजना की तीसरी वर्षगांठ यानी 23 सितंबर, 2021 को की जाएगी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और राज्यों की बैठक के कई दौर पूरे
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने राज्यों से सुझाव मांगे थे कि पीएम-जय के दायरे को बढ़ाने के लिए इससे बेहतर विकल्प क्या हो सकते हैं। वर्तमान में, योजना के लाभार्थियों का निर्धारण सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011 (SECC) के आंकड़ों के आधार पर किया गया है। केंद्र का मानना है कि ये आंकड़े पुराने हैं और बड़ी संख्या में जरूरतमंद इस योजना से बाहर हैं. ऐसे में राज्यों से पूछा गया कि इससे बेहतर विकल्प क्या हो सकता है।
हालांकि इस योजना के तहत अब तक दो करोड़ 58 लाख से अधिक लोगों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल चुका है. सूत्रों का कहना है कि एनएचए के पास जो सुझाव आए उनमें ज्यादातर राज्यों ने योजना को राशन कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव दिया था। इस संबंध में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं विद्युत मंत्रालय के साथ एक बैठक भी हो चुकी है। इसके आर्थिक पहलुओं की एनएचए द्वारा समीक्षा की जा रही है।
अब: सांख्यिकी और वास्तविकता के बीच का अंतर
- 2011 की जनगणना के अनुसार लाभार्थियों के रूप में 10.74 करोड़ परिवार (लगभग 55 करोड़ लोग) हैं।
- लाखों लोगों का स्थान बदल गया है, इसलिए कुछ लोग दिए गए पते पर नहीं मिल पा रहे हैं।
- राज्यों से शिकायतें मिली हैं कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो वास्तव में गरीब हैं लेकिन उनका नाम एसईसीसी में नहीं है।
आगे: राशन कार्ड की भी होगी ट्रैकिंग
- देश में 23.43 करोड़ राशन कार्ड धारक परिवार यानी 80 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं।
- 90% परिवारों में 1 सदस्य का आधार राशन कार्ड से जुड़ा हुआ है। धोखाधड़ी मुश्किल है।
- ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ से करीब 69 करोड़ लाभार्थी जुड़े हुए हैं। ये आंकड़े हर साल अपडेट किए जाते हैं। लाभार्थियों की ट्रैकिंग भी की जाएगी।
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