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अब सीवेज के सैंपल में ढूंढेगे कोरोना संक्रमण: देश के 50 शहरों में जांच की तैयारी, पहली बार सीवेज के सैंपलों का होगा आरटी-पीसीआर टेस्ट

अब सीवेज के सैंपल में ढूंढेगे कोरोना संक्रमण: देश के 50 शहरों में जांच की तैयारी, पहली बार सीवेज के सैंपलों का होगा आरटी-पीसीआर टेस्ट

देश में पहली बार किसी इलाके के समुदाय में कोरोना वायरस का संक्रमण कितना है और यह कहां तक ​​फैला है, इसका पता लगाने के लिए सीवेज के नमूनों की जांच की तैयारी की जा रही है. यह जल्द ही देश के लगभग सभी राज्यों की राजधानी सहित 50 से अधिक प्रमुख शहरों में शुरू होगा। प्रयोगशाला में सीवेज के नमूनों का आरटी-पीसीआर परीक्षण किया जाएगा। इससे पता चलेगा कि उस इलाके में संक्रमण है या नहीं। यदि हां, तो किस स्तर तक ?

कोविड-19 टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के अध्यक्ष प्रो. एनके अरोड़ा ने कहा कि इससे पता चलेगा कि जिस क्षेत्र में लोगों की जांच नहीं हो रही है या जांच नहीं हो रही है, वहां संक्रमण की क्या स्थिति है. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम के पूर्व प्रमुख प्रो. शाहिद जमील का कहना है कि इसका बड़ा फायदा यह होगा कि समुदाय में संक्रमण है या नहीं, यह पता चलेगा. इतना ही नहीं सीरो सर्वे के लिए बड़े पैमाने पर अलग-अलग सैंपल लेने की जरूरत नहीं होगी। इससे समय, धन और मानव संसाधन की भी बचत होगी।

देश में फायदा कम क्योंकि ४ शहरों में ही १००% इलाज की व्यवस्था

क्या सीवेज परीक्षण आवश्यक है?
सीवेज कभी झूठ नहीं बोलता। आप जो खाते-पीते हैं उसके अंश शरीर के अपशिष्ट में मौजूद होते हैं। सीवेज के नमूने की जांच कर उसमें बैक्टीरिया, वायरस, दवा के अवशेष और स्वास्थ्य का आकलन किया जा सकता है।

क्या ऐसा पहले कभी हुआ है?
कोरोना से पहले वे सीवेज जांच से पता लगाते थे कि कोकीन जैसी अवैध दवाओं का इस्तेमाल कहां हो रहा है।

दुनिया में ऐसा कहां हो रहा है?
चूंकि स्विट्जरलैंड में पहला कोविड -19 मामला पाया गया था, इसलिए क्षेत्रीय संक्रमण को समझने के लिए सीवेज परीक्षण शुरू किया गया था। अमेरिका, नीदरलैंड भी इस प्रक्रिया को अपना रहे हैं।

यह कोरोना में कैसे कारगर है?
यदि कोई व्यक्ति संक्रमित है, तो रोग के लक्षण प्रकट होने से कुछ दिन पहले कचरे में वायरस के लक्षण मिलने लगते हैं। टेस्ट नेगेटिव आने के बाद संक्रमण 4 सप्ताह तक शरीर में बना रहता है।

इसका उपयोग कहां किया जा सकता है?
ठोस अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रणाली वाले देशों में सामुदायिक जांच संभव है।

सीवेज परीक्षण का क्या लाभ है?
पूरे देश की बजाय किसी खास इलाके में लॉकडाउन से कोरोना पर काबू पाया जा सकता है, ताकि अर्थव्यवस्था चलती रहे.

सीवेज में कोरोना कब तक जीवित रहता है?
कोरोना वायरस सीवेज में दो दिन तक जिंदा रहता है। इस दौरान अगर यह बिना इलाज के किसी तालाब, झील या नदी में पहुंच जाए तो 10 दिन तक जिंदा रह सकता है।

भारत में सीवेज से कोरोना की पहचान करना कितना कारगर होगा?
पर्यावरण मंत्रालय के एनविस सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2021 तक भारत में हर दिन 72,368 एमएलडी सीवेज निकता है। इसमें से सिर्फ 31,841 एमएलडी ट्रीटमेन्ट किया जाता है, जबकि 26,869 एमएलडी क्षमता के ट्रीटमेंट प्लांट ही चालू हैं। यानी करीब 63 फीसदी सीवेज बिना ट्रीटमेंट के बह रहा है।

भारत के कितने शहरों में पूर्ण सीवेज उपचार प्रणाली है?
अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, देश के 4 शहरों (हैदराबाद, वडोदरा, लुधियाना, चेन्नई) में 100% सीवेज उपचार क्षमता है। बेंगलुरु और अमृतसर जैसे 11 शहरों का कोई डेटा नहीं है। 60% से अधिक क्षमता वाले 4 शहर हैं (अहमदाबाद ९६%, मुंबई ८०%, दिल्ली ६१%, पुणे ६४%)। बाकी शहरों में क्षमता 50% से कम है। सबसे नीचे भोपाल (6%), लखनऊ (11%) और जयपुर (11%) हैं।

(डॉ क्रिस्टोफ ऊर्ट अपशिष्ट जल महामारी विज्ञानी, स्विट्जरलैंड और भारत के पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट)

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