राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी की पत्नी चारु चौधरी भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। बागपत की बड़ौत और छपरौली विधानसभा सीटों पर रालोद मुख्यालय ने सोमवार को अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।Read Also:-छोटे बच्चों को भी शीघ्र मिलेगा कोरोना कवच: 12 से 14 साल के बच्चों को भी मिलेगी कोरोना की वैक्सीन, मार्च के फर्स्ट वीक से हो सकती है शुरुआत
जाटलैंड की दोनों सीटों पर खुद जयंत चौधरी और उनकी पत्नी चारू चौधरी चुनाव नहीं लड़ेंगे। छपरौली सीट से वीरपाल राठी और बड़ौत से जयवीर तोमर को टिकट दिया गया है। चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद पहली बार किसी चुनाव में पार्टी की कमान जयंत के कंधों पर है।
जयंत ने सभी सीटों पर अपनी ताकत झोंक दी है
27 दिसंबर 1978 को जन्मे जयंत चौधरी वर्तमान में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वह पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह के बेटे और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते हैं। जयंत चौधरी यूपी की मथुरा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। साल 2021 में पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह के निधन के बाद पार्टी की जिम्मेदारी जयंत के कंधों पर आ गई। किसान आंदोलन के बाद इस विधानसभा चुनाव में रालोद प्रमुख निजी सीट पर अपनी ताकत न लगाकर पार्टी के लिए ताकत झोंक रहे हैं। जाटलांट की छपरौली विधानसभा चौधरी परिवार और रालोद की विरासत है।
पूरे पश्चिम को छपरौली बनाना है
जयंत चौधरी वर्तमान में अखिलेश यादव के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं। किसान आंदोलन में वे किसानों के साथ थे। भारतीय किसान संघ भी समर्थन कर रहा है। लोक दल ने मुजफ्फरनगर की बुढाना सीट से राजपाल बाल्यान को मैदान में उतारा है। जिससे साफ है कि जयंत बलियान खाप का समर्थन मांग रहे हैं। इस खाप से संजीव बाल्यान केंद्रीय मंत्री हैं। बीजेपी को घेरने के लिए पश्चिम उत्तर प्रदेश में रालोद ने जाटों और मुसलमानों के सहयोग से पूरी रणनीति तैयार की है।
19 सितंबर 2021 को जब चौधरी अजीत सिंह की छपरौली में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया तो मंच से जयंत चौधरी ने कहा- पूरे वेस्ट यूपी को छपरौली बनाना है। जयंत चौधरी ने तभी स्पष्ट कर दिया था कि वह इस चुनाव में जितनी सीटों पर चुनाव लड़े हैं, उस पर पूरी ताकत से लड़ेंगे।
चुनाव में प्रचार करेंगी चारू चौधरी
जयंत चौधरी की पत्नी चारू चौधरी भी चुनाव लड़ने से दूर हैं। पार्टी नेताओं ने कहा कि जयंत और उनकी पत्नी ने कहा है कि परिवार ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। पार्टी को आगे ले जाना परिवार की पहली जिम्मेदारी होती है। रालोद किसानों की पार्टी है। हर कार्यकर्ता की तरह चुनाव में भी काम होगा। इस चुनाव में रालोद पिछले दो दशकों की राजनीति में मजबूत स्थिति में होने का दावा कर रही है।
छपरौली 84 साल से रालोद का गढ़ है
बागपत जिले की छपरौली विधानसभा सीट रालोद का गढ़ है। इस छपरौली सीट ने चौधरी परिवार को कभी निराश नहीं किया है. 1937 से 1977 के चुनाव तक चौधरी चरण सिंह इस सीट से लगातार विधायक बने रहे। इस सीट से चुनाव जीतकर चौधरी चरण सिंह को उत्तर प्रदेश के सीएम बनने की कुर्सी मिली। इस सीट पर रालोद ने जिस किसी को भी उतारा, यहां की जनता ने कभी निराश नहीं किया.
इस जाटलैंड बागपत से चौधरी चरण सिंह तीन बार सांसद और चौधरी अजीत सिंह छह बार सांसद रहे। जयंत ने चुनाव लड़ा होता तो उनके लिए छपरौली और चारु चौधरी के लिए बड़ौत विधानसभा सबसे अनुकूल सीट होती, लेकिन चौधरी परिवार ने तीसरी पीढ़ी में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।
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