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PM केयर फंड से मिले घटिया वेंटिलेटर ने ली बच्चे की जान, डाॅक्टर ने कहा- यह अपने आप बंद हो जाते हैं, इन्हें हटाना जरूरी

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पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर ने कानपुर के एक बच्चे की जान ले ली। यह बच्चा कानपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती था। यहां के बाल रोग विशेषज्ञ एक डॉक्टर ने चिट्ठी लिखकर बताया कि पीएम केयर फंड से मिले  Agva वेंटिलेटर खराब है।कोरोना ने जब देश में दस्तक दी थी तो देशवासियों की मदद के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम केयर फंड का गठन किया था और देशवासियों से इसमें सहयोग की मांग की थी। देश के लोगों ने अपनी सामर्थता के अनुसार इस फंड में अरबों रुपया डोनेट कियामें , लेकिन कितना रुपया पीएम केयर फंड में आया यह जानने का अधिकार जनता को नहीं दिया गया। पीएम केयर फंड से आए पैसों से देश के सरकारी अस्पतालों में संसाधन बढ़ाए गए, गरीबों की मदद की गई। लेकिन जो संसाधन अस्पतालों को दिए गए वह इतने घटिया हैं कि लोगों की जान ले रहे हैं।

जी हां पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर ने कानपुर के एक बच्चे की जान ले ली। यह बच्चा कानपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती था। यहां के बाल रोग विशेषज्ञ एक डॉक्टर ने चिट्ठी लिखकर बताया कि पीएम केयर फंड से मिले  Agva वेंटिलेटर खराब है। ये इतने घटिया हैं कि चलते-चलते अपने आप कभी भी बंद हो जाते हैं और इसी घटिया वेंटिलेटर के कारण एक बच्चे की जान चली गई। 

अब मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ विभाग के अध्यक्ष ने भी इन वेंटिलेटरों को हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि इन वेंटिलेटरों को अस्पताल में रखा गया तो और मरीज भी मौत के शिकार हो जाएंगे। बाल रोग विभाग की तरफ से इस मामले में दो बार प्रिंसिपल को लेटर लिखा जा चुका है। एक चिट्‌ठी 25 मई 2021 और दूसरी 6 जुलाई 2021 को लिखी गई है। हालांकि, इसमें ये नहीं बताया गया है कि खराब वेंटिलेटर के चलते बच्चे की मौत कब हुई?

बताया जा रहा है कि पहला लेटर 21 मई 2021 का है। आईसीयू इंचार्ज की तरफ से मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को यह पत्र लिखा गया है। इसमें कहा गया है किमेडिकल कॉलेज को 26 AgVa वेंटीलेटर अप्रैल 2020 में उपलब्ध कराए गए थे। कंपनी इंजीनियर की कोशिशों के बाद भी इसे एक बार भी ठीक से नहीं लगाया जा सका है। हमारे पास एल-3 लेवल कोविड अस्पताल में अति गंभीर मरीज आते हैं। जिनके फेफड़ों में गंभीर संक्रमण होता है। यह वेंटीलेटर यहां भर्ती मरीजों की जरुरत के मुताबिक ऑक्सीजन और वेंटीलेटन देने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में इसे उन अस्पतालों में भेज दिया जाए, जहां कम गंभीर मरीज होते हैं।

दूसरा लेटर 6 जुलाई 2021 का है। इसे मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष ने प्रिंसिपल को लिखा है। इसमें लिखा हैपीआईसीयू में स्थापित दो AgVa वेंटीलेटर चलते-चलते रुक जाता है। इस बारे में पहले भी बताया गया है। इसमें एक वेंटीलेटर के अचानक रुक जाने के कारण एक बच्चे की मौत हो गई। ऐसे में इन वेंटीलेटर को शिशु रोगियों में इस्तेमाल किया जाना ठीक नहीं है।

7 जुलाई 2020 को राहुल गांधी ने भी उठाए थे सवाल7 जुलाई 2020 को कांगेस नेता राहुल गांधी ने भी पीएम केयर फंड से दिए जा रहे 10 हजार वेंटिलेटर्स की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। राहुल ने #BJPFailsCoronafight हैशटैग के साथ ट्वीट करते हुए लिखा था- ‘पीएम केयर के वेंटिलेटरों और पीएम के बीच काफी समानताएं हैं। दोनों का बहुत ज्यादा झूठा प्रचार, अपना काम करने में पूरी तरह से फेल और जरूरत के वक्त दोनों को ढूंढना मुश्किल।

वेंटिलेटर कंपनी के मालिक ने दी थी सफाई
एग्वा वेंटिलेटर कंपनी के सह संस्थापक डॉ. दिवाकर वैश्य ने राहुल गांधी के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा था कि राहुल डॉक्टर नहीं है। पहले उन्हें वेंटिलेटर के मैकेनिज्म को समझना होगा। सामान्य वेंटिलेटर 10 से 15 लाख रुपए के होते हैं। हमारी कंपनी के वेंटिलेटर 1 से 1.50 लाख रुपए के हैं। इनका मैकेनिज्म भी अलग है। मुंबई के कुछ अस्पतालों ने भी वेंटिलेटर पर सवाल उठाए थे। इस पर कंपनी ने सफाई दी थी कि उन अस्पतालों ने थर्ड पार्टी से वेंटिलेटर इंस्टाल कराए थे। कंपनी ने कहा था कि इस वेंटिलेटर के ऑक्सीजन कैलिब्रेटर को समझने की जरूरत है।

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