Delhi Riots: हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली में हुई हिंसा किसी घटना के बाद अचानक नहीं हुई थी, दिल्ली में साजिश के तहत दंगे भड़काए गए थे, जिसके लिए सुनियोजित ढंग से प्लानिंग की गई थी।
Delhi Riots: देश की राजधानी दिल्ली में वर्ष 2020 में हुई हिंसा के मामले में हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए इस हिंसा को सुनियोजित साजिश बताया है। कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HC) ने इस दौरान हिंसा की कुछ वीडियो का हवाला देते हुए कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसा किसी घटना के बाद अचानक नहीं हुई थी, दिल्ली में साजिश के तहत दंगे भड़काए गए थे, जिसके लिए सुनियोजित ढंग से प्लानिंग की गई थी। इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने हिंसा के आरोपी की जामनत याचिका रद्द कर दी।Read Also:-Defense of the actress: शिल्पा शेट्टी के बचाव में आईं गहना वशिष्ठ, बोलीं- राज कुंद्रा की पूजा करें शर्लिन चोपड़ा
कोर्ट ने कहा कि हिंसा के जो वीडियो फुटेज साक्ष्य के तौर पर अदालत में पेश किए गए हैं उनमें प्रदर्शनकारियों का आचरण साफ दिख रहा है। इससे पता चलता है कि ये लोग सरकार के कामकाज के साथ ही सामान्य जीवन को भी प्रभावित करने और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का प्लान पहले ही बनाए बैठे थे। यानि यह हिंसा सोची समझी साजिश थी। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने अपने फैसले में कहा, CCTV कैमरों को नष्ट करना भी शहर में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए बने प्लान की पुष्टि करता है। Read Also : जम्मू-कश्मीर: सेना ने पाकिस्तानी आतंकी को जिंदा पकड़ा, एक को मौत के घाट उतारा
कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान आरोपी कथित तौर पर तलवार लिए हुए था इसके अलावा ये भी स्पष्ट है कि सैकड़ों दंगाइयों ने बेरहमी से पुलिस के एक दल पर लाठियों डंडों, हॉकी स्टिक और बैट से हमला किया। इस पर आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि कॉन्स्टेबल रतनलाल की मौत तलवार के वार से नहीं हुई, आरोपी ने केवल अपनी और परिवार की रक्षा के लिए तलवार उठाई थी। Cheque Book Invalid: इलाहाबाद बैंक, UBI और OBC की चेक बुक 1 अक्टूबर नहीं होगी मान्य, नई चेक बुक के लिए ये स्टेप अपनाएं
हाईकोर्ट ने कहा कि उसके द्वारा लिए जा रहे हथियार गंभीर चोट या मौत का कारण बन सकता है और ये प्रथम दृष्टया जानलेवा खतरनाक हथियार है। ये निर्णायक सबूत है जो कोर्ट को आरोपी की कैद को बढ़ाने की ओर झुकता है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को तलवार के साथ दिखाने वाला उपलब्ध वीडियो फुटेज ‘‘काफी भयानक’’ था और उसे हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त है। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का इस्तेमाल सभ्य समाज के ताने-बाने को खतरे में डालने के लिए नहीं किया जा सकता है। इस टिप्पणी के साथ ही जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने आरोपी मोहम्मद इब्राहिम के जमानत की अपील खारिज कर दी, जिसे दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था।
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके चांद बाग में 23 फरवरी, 2020 को हिंसा शुरू हुई थी। दंगे के दौरान भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया था, इस हिंसा के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल के सिर में चोट लगने से मौत हो गई थी और एक अन्य अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गया था। ये हिंसा करीब तीन दिन तक जारी रही थी. इस दौरान 50 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे।
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