भातीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 105 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इनमें से कुल 25 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक पार्टी ने इन उम्मीदवारों के नाम उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की वेबसाइट पर जारी कर दिए हैं। क्रिमिनल ट्रायल वाले उम्मीदवारों में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का नाम सबसे बड़ा है। उनके अलावा बिजनौर की नजीबाबाद सीट से उम्मीदवार कुंवर भारतेंदु सिंह, थानाभवन सीट से सुरेश राणा, मुजफ्फरनगर के उम्मीदवार कपिल देव अग्रवाल का नाम शामिल है। इस लिस्ट में मेरठ शहर से प्रत्याशी कमल दत्त शर्मा भी हैं। पूरी सूची देखने के लिए क्लिक करें।
पार्टी ने इन उम्मीदवारों के चयन की वजह भी बताई है। भाजपा ने अपनी वेबसाइट पर केशव प्रसाद मौर्य को उम्मीदवार के रूप में चुनने का कारण बताते हुए कहा, “वह राज्य के मौजूदा विधायक और उप मुख्यमंत्री हैं।” इससे पहले वे सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं। वह न केवल अपने क्षेत्र में बल्कि पूरे राज्य में बहुत लोकप्रिय हैं। उनके नाम का प्रस्ताव जिला इकाई ने रखा था। उनका नाम योग्यता, सामाजिक कार्य और लोगों के उत्थान के लिए किए गए कार्यों के आधार पर चुना गया है। इतना ही नहीं, पार्टी ने लोगों को उनके अलावा किसी अन्य आपराधिक मुकदमे के बिना चुनाव न करने की वजह भी बताई है।Read Also:-अभी और बढ़ेगा कड़ाके की ठंड का प्रकोप, दिल्ली-एनसीआर समेत इन इलाकों में बारिश और शीत लहर का पूर्वानुमान: मौसम विभाग
वेबसाइट पर जारी पार्टी के घोषणापत्र में कहा गया है, ‘वह मौजूदा विधायक और डिप्टी सीएम हैं। वह लंबे समय से अपने संसदीय क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। उसके खिलाफ राजनीतिक रंजिश के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इसलिए उन्हें अन्य दावेदारों पर प्रत्याशी बनाने में तरजीह दी गई है। बता दें कि चुनाव आयोग ने आदेश दिया है कि अगर कोई पार्टी आपराधिक आरोपों वाले उम्मीदवार का चयन करती है तो उसे सोशल मीडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी देनी होगी।
समाजवादी पार्टी प्रत्याशी नाहिद हसन को लेकर विवाद, SC तक पहुंचा मामला
गैंगस्टर एक्ट के तहत केस का सामना कर रही समाजवादी पार्टी की ओर से नाहिद हसन को कैराना से प्रत्याशी बनाया गया है। इस पर बीजेपी ने आपत्ति जताई थी और विवाद बढ़ने के बाद एसपी ने उन्हें हटाने का फैसला किया था। इतना ही नहीं इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। इसमें सपा समेत सिर्फ उन्हीं दलों की मान्यता समाप्त करने की मांग की गई है, जिन्होंने आपराधिक मामलों वाले अपने उम्मीदवारों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी, 2020 में एक आदेश भी जारी किया था।
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