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उत्तर प्रदेश : अब बुलडोजर के बाद योगी सरकार ला रही है एक नया हथियार, सड़क पर नहीं निकल सकेंगे अपराधी, जानिए क्या है प्लान

उत्तर प्रदेश : अब बुलडोजर के बाद योगी सरकार ला रही है एक नया हथियार, सड़क पर नहीं निकल सकेंगे अपराधी, जानिए क्या है प्लान
उत्तर प्रदेश : अब बुलडोजर के बाद योगी सरकार ला रही है एक नया हथियार, सड़क पर नहीं निकल सकेंगे अपराधी, जानिए क्या है प्लान

उत्तर प्रदेश में क्राइम कंट्रोल के लिए योगी सरकार ने पूरे राज्य में बुलडोजर का इस तरह से इस्तेमाल किया कि इससे न सिर्फ अपराधियों में डर पैदा हुआ, बल्कि यह सरकार के हनक का प्रतीक भी बन गया। उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी बुलडोजर की गर्जना शुरू हो गई है। इस बीच योगी सरकार ने अपराध पर लगाम लगाने के लिए एक और हथियार का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। ये है ‘फेस रिकग्निशन कैमरा’, जो सड़क से निकलते ही अपराधियों को सलाखों के पीछे डलवा देगा।Read Also:-कोरोना के हालत को लेकर मुख्यमंत्री योगी ने बताया UP का हाल, NCR में कोरोना के नियंत्रण को उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी, समझाया पूरा प्लान

योगी सरकार ने एडवांस सर्विलांस सिस्टम के तहत वाराणसी के चौराहों, चौकों और गलियों में कैमरे लगाए हैं, जिससे अपराधियों का बचना मुश्किल है। बताया जा रहा है कि जल्द ही ये कैमरे राज्य के अन्य शहरों में भी लगाए जाएंगे। सरकार को उम्मीद है कि इससे काफी हद तक इस अपराध पर काबू पाया जा सकेगा।

कैसे काम करता है यह सिस्टम
अब अगर कोई अपराधी वाराणसी में प्रवेश करता है तो वह फेस रिकग्निशन कैमरे से बच नहीं पाएगा। वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. डी. वासुदेवन ने बताया कि पुलिस के सुझाव पर वाराणसी में 16 स्थानों पर 22 कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे करीब 50 से 60 मीटर की दूरी से अपराधियों की पहचान करते हैं। काशी तत्काल इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम की व्यवस्था में बैठे विशेषज्ञ पुलिस कर्मियों को अलर्ट करता है। चेहरा डेटाबेस में मौजूद अपराधी की तस्वीर यानी कैमरे से कैद करेगा और तस्वीर के साथ उसका मिलान करेगा और कोडिंग और नाम से उसकी विशिष्ट पहचान को प्रकट करेगा। ये कैमरे पुराने फोटो मास्क, हेलमेट या किसी तरह के ढके हुए चेहरों से अपराधियों के चेहरों की पहचान भी करते हैं। अपराधी अपनी शक्ल बदल भी लें तो कैमरे की नजरों से बच नहीं पाएंगे।

लाखों की भीड़ में भी पहचान लेते हैं ये कैमरे
वीडियो एनालिटिक्स के जरिए जिले के कोने-कोने पर नजर रखी जा रही है। फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर लाखों की भीड़ में भी क्रिमिनल चेहरे ढूंढ लेगा। जो प्रतिशत में चेहरों की पहचान बताएगा। कैमरे पर मौसम का प्रभाव भी न्यूट्रल होता है। यह सॉफ्टवेयर लाइव फीड के अलावा फोटो से फोटो और फोटो से वीडियो में अपराधियों को भी खोज सकता है। डॉ. डी. वासुदेवन ने बताया कि एडवांस सर्विलांस सिस्टम के तहत 400 किमी तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। जिसमें 720 स्थानों पर 183 अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए हैं। जिनका इस्तेमाल ट्रैफिक अपराध जैसे कई तरह से किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में भारतीय, यूरोपीय और अमेरिकी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

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