कोरोना महामारी ने अप्रैल माह के दूसरे पखवाड़े में कहर ढा दिया। बीमारी गली-मोहल्लों से लेकर गांवों तक फैल गई। बुखार, खांसी और सांस फूलने से गांवों में रोजाना सैकड़ों लोगों की जान जा रही है, जिसे प्रशासन ने कभी जानना ही नहीं चाहा। शहर के 31 कोविड कंद्रों और निजी अस्पतालों में इन्हीं लक्षणों वाले 30 से 50 के बीच मरीजों की रोजाना मौत हो रही है। जबकि स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में तीन से चार मौतें दिखाकर औपचारिकता पूरी की जा रही है। इसका प्रमाण रोजाना श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार और कब्रिस्तान में दफनाएं जा रहे शव हैं। सामाजिक संगठनो ने सीएमओ और डीएम को फोनकर पूछना शुरू कर दिया है कि..सर मौतों का आंकड़ा छुपाने का पाप कब तक। आखिर श्मसान पर तीन परतों में पैक होकर पहुंचने वाली लाशों को कोविड के आंकड़ों में शुमार क्यों नहीं किया गया।