दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर श्रमिकों का संकट फिलहाल काफी हद तक खत्म हो गया है। यहां श्रमिकों की संख्या 800 पहुंच गई है। अब इस प्रोजेक्ट का रफ्तार काम पकड़ेगा। हालांकि पहले यहां श्रमिकों की संख्या 1400 थी। निर्माण कंपनी का दावा है कि इन्हीं कामगारों से काम की गति तेज की जाएगी|
डासना-मेरठ के बीच 32 किमी के हिस्से पर निर्माण कार्य में 1400 स्टाफ था। इनमें से अधिकतर लोग बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान व उप्र राज्यों से हैं। लॉकडाउन लगा तो करीब 900 प्रवासी श्रमिक अपने घर चले गए। लॉकडाउन के बाद काम की अनुमति मिली तो मात्र 400 स्टाफ से काम शुरू किया गया। आसपास के 100 लोग भी आ गए, लेकिन कम स्टाफ की वजह से काम रफ्तार नहीं पकड़ सका। इसके बाद प्रवासी श्रमिकों को बुलाने के भी प्रयास किए गए, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। इसके बाद कार्यदायी कंपनी ने ऐसे ठेकेदारों से संपर्क साधा जो आसपास ही हाईवे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। इनमें से कुछ लोगों का काम पूरा होने वाला है तो कुछ के काम शुरू होने में देर है। इनके श्रमिकों को बुला लिया गया है।
हापुड़ और सहारनपुर में चल रहे प्रोजेक्ट से भी कामगारों को बुलाया गया है। ऐसे में इस प्र्रोजेक्ट पर काम करने वालों की संख्या करीब 800 हो गई है। कार्यदायी कंपनी जीआर इंफ्रा प्रा. लि. के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर मनोज बैरवा ने बताया कि कामगार काफी हैं, लेकिन इतने लोगों से भी काम को गति दी जाएगी। प्रवासी श्रमिकों को बुलाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। यदि वे काम पर आते हैं तो उन्हें रखा जाएगा। हालांकि जल्द ही बरसात का मौसम भी शुरू हो जाएगा। इस मौसम में काम रुक-रुक कर चलता है।