पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई खूनी झड़प के मुद्दे पर पीएम द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सोनिया गांधी के अलावा किसी पार्टी ने सरकार को घेरने की कोशिश नहीं की। चाहे शरद पवार हों, ममता बनर्जी हों, उद्धव ठाकरे हों या फिर जगनमोहन रेड़्डी जैसे विरोधी दलों के नेताओं ने सरकार के साथ एकजुटता दिखाई। सिर्फ सोनिया गांधी ने सरकार से सवाल पूछे और नाकामी का इल्जाम लगाया। सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि सरकार बताए कि चीनी घुसपैठ की जानकारी कब मिली? क्या सरकार को बॉर्डर पर होनी वाली एक्टिविटीज के सेटेलाइट तस्वीरें नहीं मिलती? क्या LAC पर होने वाली गतिविधियों के बारे में इंटेलिजेंस एजेंसीज रिपोर्ट नहीं देती? क्या मिलिट्री एंटेलिजेंस ने बॉर्डर पर चीनी सेना के भारी जमावड़े की खबर नहीं दी? क्या सरकार इसे इंटेलिजेंस की फैल्योर नहीं मानती?
सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार ने 5 मई से 6 जून के बीच चीन से डिप्लोमैटिक लेवल पर बात क्यों नहीं की? सरकार किस बात का इंतजार कर रही थी? सोनिया गांधी ने एक साथ इतने सवाल पूछ दिए कि विपक्ष के नेता भी असहज हो गए। क्योंकि ये वक्त सवाल पूछने का नहीं है। सियासत करने का नहीं हैं। और ये बात शरद पवार ने कह भी दी। शरद पवार विरोधी दल में हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि इस माहौल में ये सवाल उठाना कि सैनिक निहत्थे थे या नहीं, ठीक नहीं है। इस वक्त इस तरह की बातों से बचना चाहिए।