मेरठ, 25 जनवरी। शुरुआती सब्जियों की पौध तैयार करने के लिए लो-टनल तकनीक कारगर साबित हो रही है। इसमें सब्जियों की शुरुआती पौध लो-टनल में तैयार की जाती है। इस पौधे को लगाने से सब्जियां सामान्य से 40 से 50 दिन पहले तैयार हो जाती हैं। बाजार में अगेती सब्जियों के न केवल अच्छे दाम मिलते हैं, बल्कि उत्पादन भी अधिक और उच्च गुणवत्ता का होता है।
सब्जियों की अगेती फसल से किसान सामान्य से अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को अगेती पौध की जरूरत है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को कम टनल में सब्जी के पौधे तैयार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। गर्मी के मौसम में अगेती सब्जियों की खेती के लिए पौध जनवरी माह में ही बो दी जाती है। इनमें करेला, लौकी, तरबूज, खीरा, तोरी, छप्पन, कद्दू, टिंडा आदि सब्जियों के पौधे शामिल हैं। फरवरी में मौसम अनुकूल होने पर निचली सुरंग के ऊपर से प्लास्टिक की पन्नी हटा दी जाती है।
अगेती पौध लगाने से सब्जियां सामान्य से 40 से 50 दिन पहले तैयार हो जाती हैं। बाजार में अगेती सब्जियों के बेहतर दाम मिलने से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि उनके उत्पादन और गुणवत्ता में भी सुधार होता है। जिले के कई प्रगतिशील किसान इस तकनीक से पौध तैयार कर रहे हैं। इनमें गांव नंदी के विनोद कुमार, रनियाला के सत्यपाल सिंह आदि शामिल हैं।
बता दें कि लो टनल कम ऊंचाई वाली टनल के आकार की अस्थायी संरचना होती है। यह प्लास्टिक की पन्नी से ढका होता है। इसकी ऊंचाई करीब डेढ़ फीट है। ग्रीष्मकालीन सब्जियों की फसल के लिए पौध जनवरी माह में ही प्लास्टिक की थैलियों में बो दी जाती है। यह पौधे को पाले से बचाता है। क्योंकि अंदर का तापमान छह से दस डिग्री सेल्सियस रहता है, जो पौधे के लिए अनुकूल होता है। कृषि विज्ञान केंद्र इस तकनीक को बढ़ावा दे रहा है।
.
News Source: https://meerutreport.com/high-production-and-high-quality-low-tunnel-technology-is-proving-effective/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=high-production-and-high-quality-low-tunnel-technology-is-proving-effective