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कहीं रिश्तेदारों के बहकावे में तो कहीं छोटी-छोटी गलतफहमियों के चलते पारिवारिक अदालत में पहुंचे रिश्तों के कई विवाद खत्म हो गए. कोर्ट ने जब सात वचनों का महत्व समझाया तो तलाक का इरादा भी बदल गया। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायालय के न्यायाधीशों ने जिम्मेदार अभिभावकों की तरह 259 प्रकरणों का निस्तारण किया। 29 जोड़े फिर से साथ रहने की कसम खाकर कोर्ट से निकले। दो ऐसे मामले जिनमें तलाक तय था, वो रिश्ता भी टिक गया।
छुट्टी के दिन भी सभी जज अपने-अपने कोर्ट में सुनवाई कर रहे थे. एक कमरे में जब सुनवाई खत्म हुई तो माहौल बेहद खुशनुमा हो गया. एक-दो नहीं बल्कि पांच जोड़े एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर मिठाइयां खिला रहे थे। इनमें सबसे पुराना मामला निशातगंज निवासी पति-पत्नी का है।
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2013 से अलग रह रहे दोनों पक्षों ने माना कि वे लोगों के कहने पर आए थे, लेकिन अब झगड़ा नहीं करेंगे। दूसरे कमरे में एमए बीएड कर चुकी पत्नी और मार्केटिंग का काम करने वाला पति अपने ढाई साल के बेटे के साथ खेल रहे थे। पति ने कहा कि हमसे गलती हो गई थी, लेकिन मामला सुलझ गया। इसी तरह एक नहीं बल्कि 29 जोड़ों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर और कोर्ट का शुक्रिया अदा कर विदा ली।
टूटे रिश्तों को बचाने का रिकॉर्ड
फैमिली कोर्ट बार एसोसिएशन की अध्यक्ष पद्मा कीर्ति का कहना है कि 259 केस अपने आप में एक रिकॉर्ड है. पहले 150 से कुछ अधिक मामलों का ही निस्तारण किया जा सकता था। आमतौर पर कोर्ट में केस रिश्ते खत्म करने के लिए दायर किए जाते हैं। सात वादों की याद दिलाकर कोर्ट ने न सिर्फ रिश्ते बल्कि कई परिवारों को टूटने से बचा लिया.
यहां तलाक तय था, अब साथ रहेंगे
कोर्ट परिसर में चल रही सुनवाई में दो जोड़े ऐसे भी थे, जिन्होंने आपसी तलाक की अर्जी दी थी. वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव का कहना है कि ऐसे मामलों में तलाक तय है। लेकिन कोर्ट के समझाने पर दोनों ने अपनी गलती मानी और साथ रहने का फैसला किया.
अनूठी पहल: शुरुआत सरस्वती पूजन से
फैमिली कोर्ट ने आज एक अनूठी पहल की। सबसे पहले सरस्वती की पूजा की। इस दौरान बार एसोसिएशन अध्यक्ष पद्म कीर्ति, मुख्य न्यायाधीश बीरेंद्र कुमार सिंह सहित सभी सदस्य व सभी जज मौजूद रहे. अध्यक्ष ने कहा कि विद्या और बुद्धि की देवी की पूजा कर सभी से सद्बुद्धि की प्रार्थना की जाती थी, ताकि परिवार टूटने से बच जाएं।
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