कोरोना काल और मौसम के हिसाब से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) भले ही इस समय अच्छा माना जा रहा हो लेकिन शहर की हवा जहरीली हो चुकी है। इस कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मेरठ को नॉन एटेनमेंट सिटीज (एनएसी) में शामिल किया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पांच साल के सर्वे के आधार पर प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने वाले देश के 102 शहरों को एनएसी का दर्जा दिया था। वायु गुणवत्ता में लक्ष्य के अनुरूप सुधार न होने के कारण एनजीटी ने यूपी के 10 शहरों में मेरठ को भी शामिल किया है।
प्रदूषण को सतह पर लाने के लिए बने एक्शन प्लान पर एमडीए, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, आरटीओ, ट्रैफिक, कृषि समेत 10 विभाग मुख्य रूप से काम करेंगे। एनजीटी के निर्देश पर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस पर काम शुरू कर दिया है।
इस प्लान पर काम होगा
– फसलों के अवशेषों, पराली जलाने से रोकना होगा।
– भीड़ वाले इलाकों में पार्किंग शुल्क बढ़ाना होगा।
– ईंट भट्ठों की नियमित निगरानी।
– कूड़ा जलाने पर अनिवार्य रूप से रोक लगानी होगी।
– पीडब्लूडी को टूटी सड़कों का निर्माण कराना होगा।
– पुराने वाहनों पर रोक, सीएनजी वाहनों को प्रोत्साहन।
– वायु गुणवत्ता खराब होने पर जनता के लिए मास्क की उपलब्धता व सुरक्षा के इंतजाम करने होंगे।
– औद्योगिक इकाइयों का समय-समय पर निरीक्षण।