अशरफ और अतीक अहमद (फाइल फोटो)
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माफिया अतीक अहमद ने साबरमती जेल में बंद गुजरात और मुंबई के कुछ कारोबारियों से सांठगांठ की थी। अतीक ने अपराध की दुनिया से कमाए काले धन को एक्सपोर्ट का धंधा करने वाले इन कारोबारियों की कंपनियों में लगाया था. वह अपने तीनों बेटों के लिए कंपनियों में निदेशक बनने के लिए एक भूमिका भी बना रहा था।
उमेश पाल हत्याकांड के बाद जब एसटीएफ ने साबरमती जेल पर नजर रखनी शुरू की तो उसे इस साझेदारी के पुख्ता सुराग मिले. अतीक द्वारा जेल से किए गए कुछ फोन कॉल्स से भी इसकी पुष्टि हुई है।
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एसटीएफ सूत्रों की माने तो अतीक के एक दर्जन से ज्यादा गुर्गों ने अहमदाबाद और साबरमती में ठिकाना बना रखा था. अतीक और इन गुर्गों का सारा खर्चा मुंबई और गुजरात के कारोबारी उठाते थे, जिसके चलते उन्हें प्रयागराज से पैसे नहीं मिलते थे. एसटीएफ को यह भी पता चला है कि अतीक ने अपना काला धन राजस्थान में भी कुछ लोगों के यहां निवेश किया था।
एसटीएफ इन व्यापारियों के बारे में जांच कर रही है। अतीक जेल से ही प्रयागराज के व्यापारियों और बिल्डरों को धमकाता था। मेयर का चुनाव लड़ने के लिए शाइस्ता को बसपा का टिकट मिलने के बाद से धमकियों का सिलसिला बढ़ता ही गया। यह राशि बैंक खाते में भी मंगाई गई। इसके बारे में एसटीएफ को भी पुख्ता सुराग हाथ लगे हैं।
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