उत्तर प्रदेश सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र में दिए वादे को पूरा किया है। पंजीकृत अधिवक्ताओं को अब एकमुश्त 5 लाख रुपए मिलेंगे। कैबिनेट ने न्याय विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके तहत यूपी एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट, 1974 में बदलाव करने का फैसला किया गया। इससे जुड़ा अध्यादेश जल्द ही जारी किया जाएगा। इसके तहत यूपी अधिवक्ता कल्याण कोष ट्रस्टी समिति में पंजीकृत अधिवक्ताओं के पंजीकरण से 30 वर्ष पूर्ण होने पर लगभग 5,848 अधिवक्ताओं को एकमुश्त 1.50 लाख से 05 लाख रुपये देने का प्रस्ताव है. इसके लिए उ0प्र0 अधिवक्ता कल्याण कोष अधिनियम, 1974 की धारा-13 में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे जुड़ा एक विधेयक विधानमंडल के अगले सत्र में आएगा।Read Also:-आप को ऐसा काम करने पर आरबीआई (RBI) देगा 40 लाख रुपये का इनाम, 15 नवंबर से शुरू होगा हैकाथॉन के लिए रजिस्ट्रेशन
कैबिनेट का फैसला: पूर्वी पाकिस्तान के 63 हिंदू बंगाली परिवारों को सरकार देगी जमीन
राज्य सरकार वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से यूपी के कानपुर आए 63 हिंदू बंगाली परिवारों का पुनर्वास करेगी। उन्हें खेती के लिए दो एकड़ और घर बनाने के लिए 200 वर्ग मीटर जमीन दी जाएगी। मकान बनाने के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना से पैसा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने सर्कुलेशन से मंजूरी दे दी। बंगाली परिवार वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से राज्य में आए थे। मदन कॉटन मिल में रोजगार देकर उनका पुनर्वास किया गया। पांच साल बाद मिल बंद हो गई। इससे 63 हिंदू बंगाली परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। ऐसे परिवार पिछले 30 सालों से संघर्ष कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को इनके पुनर्वास के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। उनके लिए कानपुर देहात में 300 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है। नरेगा के माध्यम से भूमि विकास और सिंचाई की सुविधा प्रदान की जाएगी। साथ ही यहां मनरेगा के तहत काम किया जाएगा, जिससे उन्हें अच्छी सुविधाएं मिल सकें। अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार सिंह जल्द ही जमीन का जायजा लेने और पुनर्वास संबंधी जानकारी लेने जाएंगे। वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई थी। यह पुनर्वास केंद्र सरकार द्वारा उड़ीसा और बदायूं में आवासीय और कृषि भूमि प्रदान करके 332 परिवारों को सहायता प्रदान करके किया गया था। शेष 65 हिंदू बंगाली परिवारों को मदन यार्न मिल, हस्तिनापुर, जिला मेरठ में नौकरी देकर पुनर्वासित किया गया। 08 अगस्त 1984 को इस मिल के बंद होने से 65 परिवारों में से 02 परिवार के सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए 63 परिवार पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं।
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