
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि किसी भी व्यक्ति को टीकाकरण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत बिना अनुमति के किसी व्यक्ति की शारीरिक अखंडता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। ऐसे में देश में टीकाकरण को अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता।Read Also:-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा फैसला, नोएडा, लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के चार जिलों में मास्क लगाना हुआ अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर टीकाकरण न करने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगाने की शर्तें सही नहीं हैं। इसके अलावा, SC ने केंद्र को COVID-19 टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभावों पर डेटा सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया है।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि वह संतुष्ट है कि मौजूदा वैक्सीन नीति को अनुचित और एकमुश्त मनमानी नहीं कहा जा सकता है। SC का कहना है कि सरकार केवल नीति बना सकती है और जनता के लाभ के लिए कुछ शर्तें लगा सकती है।
केंद्र ने दायर किया था हलफनामा
केंद्र ने 17 जनवरी 2022 को कोरोना वैक्सीनेशन पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा था कि पूरे देश में कोरोना का टीकाकरण अनिवार्य नहीं है और न ही किसी पर टीका लगवाने का कोई दबाव है।
देश में कोरोना से 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत!
देश में अब तक कुल 43 मिलियन लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 5.2 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 4.2 करोड़ लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं। पिछले 24 घंटे में कोविड के 3,157 नए मामले सामने आए हैं।

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