कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने इसी साल 15 मार्च को एक अधिसूचना जारी की है, जिस पर विवाद गहराने लगा है. पश्चिम बंगाल के सिविल सर्विस (एक्जीक्यूटिव) पदों पर नियुक्ति के लिए जहां एक जरूरी पेपर में बांग्ला, हिंदी, उर्दू, नेपाली और संथाली भाषाओं का विकल्प उपलब्ध था, वहीं अब सिर्फ बांग्ला और नेपाली भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा. . यानी हिंदी, उर्दू और संथाली भाषा में पढ़ने वाले छात्र इन परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाएंगे।
भारतीय भाषा परिषद के सभागार में “वेस्ट बंगाल लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी एसोसिएशन” के बैनर तले विस्तृत जानकारी दिखाने और इस अधिसूचना के विरोध में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया। इस संगठन के संयोजक जितेंद्र तिवारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब सहित अन्य राज्यों के लोग कई पीढ़ियों से बंगाल में रह रहे हैं और इसके सर्वांगीण विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दे रहे हैं. फिर इस अधिसूचना के माध्यम से उन्हें बंगाल की प्रशासनिक सेवाओं में नौकरी से वंचित क्यों किया जा रहा है? उन्होंने आगे कहा कि हमें बांग्ला भाषा से भी काफी लगाव है और गैर-बांग्ला स्कूलों में भी बांग्ला पढ़ाने की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि वे भी इस नए नोटिफिकेशन के मुताबिक परीक्षा दे सकें. तब तक इस तरह के फैसले को टाल देना चाहिए।
सभागार में भारी भीड़ के बीच पश्चिम बंगाल सरकार में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ऊंचे स्वर में कहा, ‘हम ऐसा नहीं होने देंगे और इसके लिए विधानसभा, लोकसभा में कानूनी कदम उठाएंगे. और जरूरत पड़ी तो सड़कों पर उतरेंगे। इस मौके पर साहित्यकार रवेल पुष्प ने कहा कि पहले हिंदी स्कूलों में बंगाली एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता था, जिसे अब बंद कर दिया गया है. उन्होंने एक बंगाली कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि ढाल नेई, तोलवार नेई, निधिराम सरदार यानी बिना हथियार के युद्ध में शामिल नहीं हो सकते, इसी तरह बंगाली पढ़े बिना इस परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते.
इस अधिसूचना का पुरजोर विरोध करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने संबोधित किया, जिसमें विधायक जोड़ी बुधराई टुडू व पवन सिंह, प्रदीप सुमन, ओमप्रकाश सिंह, ललित कुमार, मो. राशिद, शकुन त्रिवेदी सहित अन्य शामिल थे.
इस मौके पर यह भी तय हुआ कि बंगाल के कई इलाकों में इस मुद्दे पर सभाएं और विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे.
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News Source: https://royalbulletin.in/hindi-speaking-students-will-not-be-able-to-join-the-civil-service-of-bengal-there-is-strong-opposition-to-the-notification/55107