जनपद में आबकारी विभाग द्वारा शराब और भांग के ठेके छोड़े जाते हैं। तमाम नियमों के तहत कई होटलों में बार के लाइसेंस भी हैं। लेकिन एक भी होटल या रेस्टोरेंट ऐसा नहीं, जिसके पास शासन-प्रशासन से हुक्काबार का लाइसेंस जारी किया गया हो।
बावजूद इसके मोटी कमाई के लालच में शहर के पॉश इलाकों सहित दर्जन भर जगहों पर युवा वर्ग को नशे की दलदल में धकेला जा रहा है। बड़ी बात यह कि यह सब पुलिस के साथ ही सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं के संरक्षण में चलता है।
छावनी क्षेत्र में अधिकांश प्रतिष्ठित स्कूल हैं। इसी क्षेत्र में शहर का पॉश इलाका आता है तो आबूलेन जैसा बाजार भी है। इस अकेले क्षेत्र में पिछले तीन सालों के बीच आधा दर्जन ऐसे रेस्टोरेंट खुल चुके हैं, जहां खुलेआम नशा परोसा जाता है। इन रेस्टोरेंट के नाम भी बहुत ही अजीब हैं, इनके नाम से ही भीतर की असलियत साफ झलक जाती है।
आबूलेन बाजार, फव्वारा चौक से सदर नया बाजार की तरफ जाने वाले मार्ग, वेस्ट एंड रोड स्थित एक नामचीन स्कूल के सामने स्थित रेस्टोरेंट हो या छावनी बोर्ड कार्यालय के पास स्थित एक रेस्टोरेंट हो। इन सभी में किशोर और युवा वर्ग की भीड़ हमेशा नजर आएगी।
सरकार किसी की हो, लेकिन इस अवैध कारोबार से जुड़े लोग सत्ता पक्ष का संरक्षण पा ही लेते हैं। शहर में करीब छह साल से हुक्का बार चल रहे हैं। लेकिन पिछले तीन सालों में इनकी संख्या बढ़ी है। इन सभी के पीछे कहीं न कहीं सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ ही व्यापारी नेताओं का संरक्षण साफ नजर आता है।
जो छापा लगने पर इनके पक्ष में दबाव बनाने के लिए पुलिस प्रशासन के सामने आ खड़े होते हैं। लेकिन दूसरा पहलू ये भी है कि यह पूरा काला धंधा पुलिस के संरक्षण में ही फल फूल रहा है।