जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने चिकित्सक की अनुपस्थिति अर्थात उनकी अनुपस्थिति या अवकाश के दौरान नर्सिंग अधिकारी को चिकित्सक का कार्य देने के संबंध में कोई दिशा-निर्देश नहीं होने पर प्रधान चिकित्सा सचिव, चिकित्सा निदेशक व अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस सुदेश बंसल ने खुशीराम मीणा की याचिका पर यह आदेश दिया.
याचिका में अधिवक्ता सुखदेव सिंह सोलंकी ने कहा कि चिकित्सक की अनुपस्थिति में नर्सिंग अधिकारी को चिकित्सक का कार्य करने का निर्देश देकर बाध्य किया जाता है. नर्सिंग अधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि वह चिकित्सा अधिकारी के कर्तव्यों के अनुसार ओपीडी/आईपीडी और आपात स्थिति में मरीजों को देखें। जबकि यह कार्य नर्सिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी के अंतर्गत नहीं आता है.
वहीं सरकार ने नर्सिंग ऑफिसर को डॉक्टर का काम देने के संबंध में न तो कोई गाइडलाइन बनाई है और न ही कोई निर्देश दिया है. ऐसी स्थिति में चिकित्सक की अनुपस्थिति में नर्सिंग अधिकारियों से कार्य न कराया जाये अथवा चिकित्सा विभाग यह दिशा-निर्देश बनाये कि चिकित्सक की अनुपस्थिति में नर्सिंग अधिकारी ओपीडी/आईपीडी की आपात स्थितियों को देखेंगे. मरीजों को दवा भी लिखते हैं। यह भी तय किया जाना चाहिए कि उन्हें मरीजों के लिए कौन सी दवाएं लिखनी चाहिए और कौन सी नहीं। जिस पर सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
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