भारत में जनगणना को लेकर कुछ राजनीतिक दल संतुष्ट नहीं है। वह चाहते हैं कि देश में जातिगत जनगणना की जाए। इन लोगों का तर्क कि जानतिगत जनगणना से सभी जातियों का उद्धार होगा, उन्हें भी सभी के बीच में स्थान मिल सकेगा। इस मुद्दे को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित 10 दलों के 11 शीर्ष नेताओं ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। उन्होंने इस मुददे को प्रधानमंत्री के सामने रखा और जातिगत जनगणना की मांग की।Also Read:-अफगानिस्तान मुद्दे पर पीएम मोदी देंगे सभी के जवाब, 26 अगस्त को बुलाई सर्वदलीय बैठक
बैठक खत्म होने के बाद प्रतिनिधमंडल मीडिया से रूबरू हुआ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि “सभी लोगों ने एक साथ जातीय गनगणना की मांग की. पीएम मोदी ने हम सभी की बात ध्यान से सुनी। हमने पीएम से इस पर उचित निर्णय लेने का आग्रह किया। हमने उन्हें बताया कि कैसे जाति जनगणना पर राज्य विधानसभा में दो बार प्रस्ताव पारित किया गया है। पीएम मोदी ने हमारी बात खारिज नहीं की। उम्मीद है कि पीएम हमारी बात पर गौर करेंगे।”
वहीं, तेजस्वी यादव ने कहा, “जातीय जनगणना से देश को फायदा होगा। मंडल कमीशन से पहले पता ही नहीं था कि देश में कितनी जातियां हैं। मंडल कमीशन के बाद पता चला कि देश में हजारों जातियां हैं। जब जानवरों की गिनती होती है, पेड़ पौधों की गिनती होती है, तो इंसानों की भी होनी चाहिए। कल्याणकारी योजनाओं के लिए जातीय जनगणना आवश्यक है। ये डेलिगेशन जो मिला है, ये सिर्फ बिहार के लिए नहीं है पूरे देश के लिए है। देशहित के मुद्दों पर हम विपक्ष के तौर पर हमेशा सरकार का समर्थन करते आए हैं।
वहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री से कहा कि हर हालत में जातिगत जनगणना कराएं, ये ऐतिहासिक निर्णय होगा। उन्होंने बहुत गंभीरता से हमारी बात सुनी है इसलिए हमें लगता है कि जल्दी ही कोई निर्णय होगा। जातीय जनगणना के मुद्दे पर हम सभी एकसाथ हैं। जब कोई भी देश हित का मुद्दा होता है तो हम सरकार के साथ होते हैं।’