15 जून की रात में चीनी सैनिकों पर कहर बनकर बरसे भारतीय जांबाजों की बहादुरी की गवाह गलवान की वादियां हैं। चीन भले अपनी पिटाई को छिपाने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन भारतीय सपूतों ने चीन को छठीं का दूध याद दिला दिया।
उन्हीं वीर सैनिकों में मेरठ के मेजर अरुण कुमार भी शामिल रहे। चीनी सैनिकों से घिरने और लडऩे के दौरान बुरी तरह जख्मी हो गए, फिर भी दोगुने चीनी सैनिकों को गिराने वाले मेजर अरुण एक महीने के इलाज के बाद 16 जुलाई को एक बार फिर सरहद की सुरक्षा में तैनात हो गए हैं।
सेना में सेवा देने वाले परिवार में तीसरी पीढ़ी के अफसर ने जिस तरह परिवार की परंपरा को कायम रखा, उससे उनकी दोनों पिछली सैन्य पीढिय़ां यानी उनके पिता और दादा गद्गद हैं।