‘एक जिला एक उत्पाद’ से खाद्य पदार्थों की छोटी इकाइयों को मिलेगी बड़ी मजबूती

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खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की इकाईयों की समस्याओं के समाधान के लिए भारत सरकार ने आत्मनिर्भर अभियान के तहत प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना संचालित की है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। सोमवार को कलक्टेट स्थित बचत भवन में खाद्य प्रसंस्करण विभाग की एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में कृषि, उद्यान के साथ जिले के कई प्रगतिशील किसान व एफपीओ प्रतिनिधि मौजूद रहे।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के अंतर्गत इस योजना में वह इकाई शामिल की जाएंगी। जिनका कोई लाइसेंस न बना हो। अधिकतम दस लोग काम करते हैं और किसी बैंक से लोन या एफएसएसएआइ से प्रमाणित न हो। इन सभी पात्रता वाली छोटी इकाइयों को ही सरकार ने इस योजना में शामिल करने का निर्णय लिया है। खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अनुसार, करीब 74 प्रतिशत लोग असंगठित रूप से काम करते हैं। इसमें मुरब्बा, अचार, जैली, सॉस, रेवड़ी, पनीर के अलावा खाद्य पदार्थों की छोटी ईकाई हो सकती हैं।

जिला उद्यान अधिकारी आरएस राठौर ने बताया कि प्रत्येक जिले में ‘एक जिला एक उत्पाद’ के तहत किसी एक खाद्य पदार्थ को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक जिले में मॉनीटरिंग के लिए एक रिसोर्स परसन की तैनाती होगी। जिसे मानदेय भी दिया जाएगा। इसके अलावा जनपद स्तरीय समिति भी गठित होगी। जिसमें जिला कृषि अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, ग्राम पंचायत का प्रधान, खंड विकास अधिकारी, एफपीओ प्रतिनिधि, नाबार्ड प्रतिनिधि, सीडीओ, खादी ग्रामोद्योग व प्रसंस्करण केंद्र के प्रधानाचार्य आदि शामिल होंगे।

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