कोरोना से जंग जीतकर बाहर निकले मरीजों और इलाज में जुटे डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया गया। सैकड़ों मरीज ठीक हुए। हालांकि अब, डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ भी वायरस की चपेट में आ रहे हैं। ज्यादातर ठीक होकर बाहर आए, लेकिन प्लाज्मा देने को लेकर ठिठक गए। नई दिल्ली सरकार ने प्जाज्मा बैंक खोला। वहां ठीक हो चुके सैकड़ों मरीज प्लाज्मा डोनेट कर दूसरे मरीजों की जान बचाने में लगे हैं।
मेरठ मेडिकल कालेज में भी प्लाज्मा थेरपी को हरी झंडी मिल गई है। प्रशासन ने ठीक हो चुके ऐसे 209 लोगों की सूची बनाई, जिनका प्लाज्मा गंभीर मरीजों को चढ़ाकर उनकी प्रतिरोधक क्षमता को तत्काल बढ़ाया जा सकता था। उम्मीद थी कि ठीक हो चुके लोग दूसरों का जीवन बचाने खुद आगे आएंगे, लेकिन उनका योद्धा धराशायी हो गया, जबकि वो दूसरों की जिंदगी बचा सकते थे।
लाकडाउन के बाद प्रकृति निखर सी गई थी। हवा में विषाक्त गैसों और कणों की मात्रा घटने से पर्यावरण साफ हो गया। विशेषज्ञों का आकलन था कि इस बार सावन और भादो में मेघों की गरज बरस नए रिकार्ड कायम करेगी। नई दिल्ली तक जमकर बारिश हुई, लेकिन अब तक मेरठ के बादलों में मेघों की आवारगी ही नजर आई है।
एक वायरस ने दुनिया पर कई माह से ग्रहण लगा रखा है। कोरोना ने होली का रंग फीका किया तो आजादी के जश्न में रोड़ा लगा दिया। क्रांति के शहर में कदाचित पहली बार 15 अगस्त को सड़कों पर ऐसा सन्नाटा नजर आया। पार्कों में भीड़ नहीं थी और कालेजों में जश्न महज एक औपचारिकता के रूप में मना।