यह एक अच्छी खबर है कि मेरठ में कूड़े से बिजली बनाने का संयंत्र तैयार हो चुका है। बिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च द्वारा भूड़बराल में स्थापित कूड़े से निकले आरडीएफ (प्लास्टिक कचरा) से बिजली बनाने का संयंत्र विद्युत उत्पादन के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका है। अब बस संयंत्र चालू होना बाकी है। गौरतलब है कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्लांट को बिजली बिक्री की स्वीकृति भी मिल चुकी है। ऊर्जा निगम के पक्ष से अब देरी की जा रही है। प्लांट संचालक ने पावर स्टेशन तैयार कर लिया है। स्टेशन से बिजली लेने के लिए ऊर्जा निगम को बिजली लाइन देनी है। बस यही काम बाकी है।मालूम हो कि कूड़े से बिजली बनाने की एकमात्र प्रदूषण रहित तकनीक है गैसीफिकेशन। इस तकनीक में कूड़े को उच्च ताप देकर उसके बेसिक मालिक्यूल में तोड़ा जाता है, जिससे कि प्रचुर मात्रा में हाइड्रोजन और मीथेन जैसी गैस बनती हैं जिनका प्रयोग इंजन अथवा टरबाइन में ईंधन की तरह किया जाता है और उससे अल्टरनेटर चलाकर बिजली बनाई जाती है।
अभी प्लांट की क्षमता एक मेगावाट है, यदि प्रति घर का लोड पांच किलोवाट माना जाए तो इसमें 200 घरों को ऊर्जीकृत करने की क्षमता है। यदि प्रति घर का लोड 500 वाट माना जाए तो इससे 2000 घर रोशन हो सकते हैं। उसी तरह पांच हॉर्सपावर की 200 ट्यूबवैल चलाई जा सकती हैं।