अनलॉक-1 में पुलिस-प्रशासन ने थोड़ी ढील दी तो कोरोना को लेकर तमाम सुरक्षा और सारे नियम हवा हो गए। बाजारों और सड़कों पर लोग ऐसे घूम रहे हैं, जैसे उन्हें कोई डर ही नहीं। इतना ही नहीं, लॉकडाउन के दौरान 68 दिनों में जितनी मौत हुई, मेरठ में उससे एक ज्यादा मौत अनलॉक-1 के दौरान पिछले 18 दिनों में हो चुकी हैं, साथ ही मरीजों की संख्या का औसत रोजाना 16.50 से ज्यादा हो गया है। यानी लॉकडाउन में रोजाना करीब 10 मरीज ज्यादा बढ़े हैं। ऐसे में साफ है कि नियमों का लोगों ने पालन नहीं किया तो स्थिति और ज्यादा खतरनाक और जानलेवा होने वाली है।
अनलॉक-1 के दौरान बाजारों को खोल दिया गया है और सड़कों पर भी पुलिस की रोक-टोक कम हो गई है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने साफ कर दिया कि जब तक कोई कारगर दवा या टीका कोरोना को लेकर सामने नहीं आता, तब तक एहतियात ही सबसे बेहतर बचाव है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के अनुसार मुंह पर मास्क लगाना, सामाजिक दूरी का पालन करना और हाथों को लगातार सैनिटाइज करना ही सबसे कारगर बचाव है।
पुलिस ने भी व्यापारियों की मांग के अनुसार ही अपनी कार्रवाई कम कर दी। लोगों के चालान और वाहन सीज समेत मुकदमों को न के बराबर कर दिया गया। पुलिस जहां पहले रोजाना एक हजार से ज्यादा चालान और 100 से ज्यादा वाहनों को सीज करती थी, वहीं अब चालान मुश्किल से 200 पहुंच पाते हैं। ऐसा इसलिए किया गया कि शहर का व्यापार पटरी पर आ सके और अर्थव्यवस्था को बल मिल सके। इस सबके चक्कर में पुलिस खुद भी संक्रमित हो गई।
इसके बावजूद अनलॉक-1 में लोगों ने न सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ाई, बल्कि पूरे शहर को खतरे में डाल दिया है। अनलॉक-1 के 18 दिनों में न सिर्फ मरीजों की संख्या बढ़ी है, बल्कि मौत का आंकड़ा अभी तक हुए सभी तीनों लॉकडाउन से ज्यादा हो गया है।