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उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत मामले में मैरियन बायोटेक का लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू

नोएडा। भारत में निर्मित कफ सिरप के सेवन से उज्बेकिस्तान में कथित रूप से 18 बच्चों की मौत के मामले औषधि विभाग ने नोएडा स्थित कंपनी के लाइसेंस को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं इस मामले में फरार चल रहे कंपनी के मालिक और मालकिन की गिरफ्तारी के लिए नोएडा पुलिस ने उनके विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की है। लेकिन पुलिस को अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। औषधि विभाग की टीम ने सेक्टर-67 स्थित मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड को कच्चा माल उपलब्ध कराने वालों ट्रैडर की तलाश शुरु कर दी है।

मालूम हो कि पिछले वर्ष अक्टूबर माह में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि गांबिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में निर्मित चार कफ सीरप में डायथिलीन ग्लाइकाल और एथिलीन ग्लाइकाल ज्यादा मात्रा में था, जो जहरीली हो सकती है और गुर्दे की गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। लेकिन ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीआई) ने इसे खारिज कर कहा था कि भारत में निर्मित चार कफ सीरप के नमूने की सरकारी प्रयोगशाला में जांच की गई थी, जो नियमों के अनुरूप पाए गए है।

मेडेन फार्मा की खांसी (कफ) की दवा के नमूने गुणवत्ता पर खरे पाए गए थे। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य औषधि नियंत्रक, हरियाणा के सहयोग से सोनीपत के कुंडली में मेडेन फार्मास्युटिकल्स की एक संयुक्त जांच की थी। कुछ दिन बाद ही सेक्टर-67 स्थित भारतीय फार्मास्युटिकल फर्म की कफ सीरप के सेवन से उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर 18 बच्चों की मौत के मामले सामने आया। जांच में सामने आया है कि फार्मास्युटिकल फर्म को दिल्ली के ट्रेडर ने रॉ मेटेरियल उपलब्ध कराया है।
एसीपी सेंट्रल नोएडा अमित कुमार का कहना है कि कंपनी के निदेशक सचिन जैन और जया जैन भारत में हैं या विदेश में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। क्योंकि दवा नमूने लिए जाने के बाद नोएडा स्थित कंपनी की देखरेख करने वाले लोगों से उन्होंने संपर्क नहीं साधा। दिल्ली स्थित पते पर दबिश दी गई, लेकिन दोनों घर पर नहीं मिले। मामले की जांच जारी है।

जनपद गौतमबुद्ध नगर के औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर ने बताया कि कंपनी के प्रमुखों को विदेश जाने से रोकने के लिए जरूरी मुकदमा दर्ज कराया गया है। जल्द खाद्य सुरक्षा एवं औषधि अधिनियम की विवेचना के बाद वाद दायर किया जाएगा। रिपोर्ट की कॉपी प्राप्त कराई जाएगी। अगर कंपनी की ओर से जांच रिपोर्ट को चुनौती दी जाती है तो नमूने को कोलकाता स्थित लैब भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि दवा बनाने में जरूरी रॉ मैटेरियल को उपलब्ध कराने वाले ट्रेडर को भी नोटिस भेजा जाएगा। संबंधित कफ सिरप में प्रोफाइलिंग ग्लाइकोल मिला है। लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हुई कि इसी के सेवन से बच्चों की मौत हुई है।

उन्होंने बताया कि कंपनी से लिए गए सैंपल फेल होने के बाद केंद्रीय औषधि विभाग की रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश औषधि विभाग ने कंपनी के लाइसेंस को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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News Source: https://royalbulletin.in/process-to-cancel-license-of-marion-biotech-begins-in-case-of-death-of-18-children-in-uzbekistan/16857

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