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खाने-पीने के बिल पर सर्विस चार्ज पर रोक, रेस्टोरेंट के खाने-पीने बिल का भुगतान करते समय आप कितने शुल्क का भुगतान करते हैं, देखें विवरण

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने सर्विस चार्ज को अवैध बताते हुए तत्काल प्रभाव से बैन कर दिया है। अब सर्विस चार्ज रेस्टोरेंट के बिल में शामिल नहीं होगा। इससे बिल में 10 फीसदी की कमी आने की उम्मीद है। आज हम आपको बताएंगे कि रेस्टोरेंट के बिल में क्या-क्या चार्जेज होते हैं, जिससे आपको बिल का भुगतान करना होता है।बिल में सिर्फ खाने-पीने का ही पैसा नहीं है, इसके अलावा कुछ चार्ज और भी लगाई जाती है। जीएसटी से पहले अलग-अलग शुल्कों की संख्या अधिक थी लेकिन उसके बाद उनकी संख्या में कुछ कमी आई है। आइए बिल के घटकों को देखें।Read Also:-मेरठ: बॉडी वार्न कैमरों से रहेगी ट्रैफिक पुलिस पर नजर, 300 कैमरे आए, इसके इस्तेमाल से रुकेगा भ्रष्टाचार, ट्रैफिक जाम और पुलिसकर्मियों से अभद्रता

रेस्टोरेंट बिल में शामिल फीस
बिल में खाने-पीने के पैसे और जीएसटी (एसजीएसटी, सीएजीएसटी) भरना होता है। आपके बिल पर 5% GST लगता है। इसमें होटल के अंदर के रेस्टोरेंट भी शामिल हैं। हालांकि, अगर होटल के कमरे का शुल्क 7,500 रुपये या उससे अधिक है, तो रेस्तरां बिल पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। इसके साथ ही आपको इनपुट टैक्स क्रेडिट भी देना होगा। इसके अलावा रेस्टोरेंट 5-10 फीसदी सर्विस चार्ज लेते हैं। जबकि यह स्वैच्छिक है। यह आरोप बहस का विषय बन गया और सरकार ने फिर से इसका संज्ञान लिया और इसे अवैध घोषित कर दिया।

कानूनी रूप से बाध्य नहीं
सोशल मीडिया और खबरों में आ रही सर्विस चार्ज की जबरन वसूली की खबरों पर संज्ञान लेते हुए उपभोक्ता मामले विभाग ने इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश दिया है। उनका कहना है कि यह एक स्वैच्छिक भुगतान है और ग्राहक इसे भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है। इसके बाद नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन (NRAI) ने कहा है कि इससे रेस्टोरेंट में काम करने वाले कर्मचारियों पर असर पड़ेगा। यूनियन के मुताबिक रेस्टोरेंट की आमदनी में सर्विस चार्ज शामिल नहीं है, लेकिन 1 दिन में वसूला गया सर्विस चार्ज सभी स्टाफ में बांट दिया जाता है। संघ ने यह भी कहा है कि इस पर अभी तक कोई कानून नहीं बना है और जो कानून बनेगा उसके अनुसार कदम उठाए जाएंगे।

2 जून को हुई थी बैठक
उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने मई में रेस्टोरेंट एसोसिएशन को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान दिलाया था। इसके बाद दो जून को रेस्टोरेंट एसोसिएशन के पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों के बीच बैठक हुई थी।

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