श्री रामजन्मभूमि महोत्सव से खिल गए कुम्हारों के चेहरे, सज गई दीयों की दुकानें

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मिट्टी के बर्तन, गमले और दीये का चलन एक बार फिर से आ गया है। कुम्हार परेशान थे वहीं मिट्टी भी मोल की लाने के कारण कीमतें बढ़ गई थी। अब श्रीरामजन्मभूमि महोत्सव के चलते फिर से दीपकों की दुकानें सज गई हैं और लोग खरीदारी कर रहे हैं।

महकने लगा मिट्टी से बने दीयों का व्यापार

कंकरखेड़ा निवासी सुरेंद्र कुमार निवासी अशोकपुरी बताते हैं कि पिछले 20 साल से मिट्टी के दिए कुल्लड़ व हांडी बनाने का काम कर रहे हैं। परिवार में छह लोग हैं, जिनकी जीविका इसी पर निर्भर है। अब श्री रामजन्मभूमि महोत्सव के चलते लोग दीयों की मांग कर रहे हैं और फिर से काम शुरू किया है|

गली-गली में बिकने लगे दीपक

5 अगस्त को लेकर गली गली में दीपक बिकने लगे हैं। वैशाली कॉलोनी के सामने, शंभूदास गेट के पास कुटी चौराहे पर दीयों की दुकानें लग गई हैं। इसके अलावा शहर के मुख्य बाजारों में भी दीपक बेचे जा रहे हैं।

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