इसलिए मंदिर के प्रवेश द्वार पर घंटी लगाई जाती है।

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कहा जाता है कि पूजा करते समय घंटी जरूर बजानी चाहिए। मान्यता है कि इससे देवता जाग जाते हैं और आपकी प्रार्थना सुनते हैं। लेकिन हम आपको यहां बता रहे हैं कि घंटी बजना सिर्फ भगवान से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि इसका वैज्ञानिक प्रभाव भी है। यही कारण है कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर हमेशा घंटी लगाई जाती है।

घंटी बजने के पीछे वैज्ञानिक कारण
घर का मंदिर हो या धार्मिक स्थल, वहां हमेशा घंटी बजती रहती है। इसके पीछे धार्मिक कारण तो हैं ही, साथ ही इसका हमारे जीवन पर वैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि घंटी बजने पर वातावरण में एक कंपन पैदा होता है, जो वातावरण के कारण दूर तक जाता है। इस कंपन का लाभ यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। यही कारण है कि जिन स्थानों पर घंटियों की आवाज नियमित रूप से आती है, वहां का वातावरण हमेशा पवित्र और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजे और खिड़कियों पर भी विंड चाइम लगाते हैं, ताकि इसकी आवाज से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सके। नकारात्मकता को दूर करने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

और भी फायदे हैं
घंटी बजाना देवताओं के सामने आपकी उपस्थिति का प्रतीक है! मान्यता के अनुसार घंटी बजने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जाग्रत होती है, जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायी और प्रभावी हो जाती है।

मंत्रमुग्ध कर देने वाली और कर्णप्रिय घंटी की ध्वनि मन और मस्तिष्क को अध्यात्म की ओर ले जाने की क्षमता रखती है। घंटी की लय से जुड़कर मन शांति का अनुभव करता है। मंदिर में घंटी बजाने से मनुष्य के कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। मंदिर में जब भी सुबह-शाम पूजा या आरती की जाती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं, जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति का अहसास होता है।

जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब नाद (नाद) गूँज उठा। घंटी बजाने पर वही आवाज आती है। घंटा उस ध्वनि का प्रतीक है। ओंकार के उच्चारण से भी यह ध्वनि जाग्रत होती है। कहीं-कहीं यह भी लिखा है कि जब प्रलय आएगी तो उस समय भी यही नाद गूंजेगा। मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटी को भी समय का प्रतीक माना जाता है।

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