हमारे देश में कई राष्ट्रीय और धार्मिक त्योहार हैं जो समय-समय पर एकता और भाईचारे को बढ़ावा देते हैं। रक्षा बंधन, ईद, दशहरा, दीपावली और होली प्रमुख धार्मिक पर्व माने जाते हैं। इन त्योहारों में मुख्य होली की अपनी विशेषता होती है।
होली मार्च (फाल्गुन) के महीने में आती है, जब सर्दी विदाई की तैयारी कर रही होती है और गर्मी आने की तैयारी कर रही होती है। होली में हर राज्य की विशेषताओं पर गौर करें तो पता चलेगा कि उत्तर प्रदेश राज्य के कुछ इलाकों की होली पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस ब्रज में नंदगांव और बरसाना क्षेत्र होली के लिए ही प्रसिद्ध हैं। यहां होली की तैयारी एक महीने पहले से ही शुरू हो जाती है।
रंगों से खेलते समय आंखों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आपकी जरा सी लापरवाही आपकी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती है। कुछ लोग रंग के स्थान पर ग्रीज़, कालिख, तारकोल आदि का प्रयोग करते हैं। यह कदापि उचित नहीं है। ऐसा करने से आपका चरित्र सामने वाले की नजरों में गिर जाता है। होली में सभी को सावधानियां बरतनी चाहिए। युवाओं को नशा नहीं करना चाहिए।
होली खेलते समय महिलाओं खासकर लड़कियों को खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर आप अपने किसी रिश्तेदार खासकर पुरुष वर्ग के साथ होली खेल रहे हैं तो कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि होली के दिन लोग अपनी अश्लील हरकतों से बाज नहीं आते हैं.
रंग की आड़ में मन में कई तरह के बुरे विचार रखे जाते हैं। महिलाओं और लड़कियों को अपने पूरे परिवार के सामने होली खेलनी चाहिए। होली खेलने वाले आपके देवर हों या देवर, पति हों या दोस्त, आपको थोड़ा सा रंग और गुलाल खेलकर दूर होने की कोशिश करनी चाहिए।
आपका जरूरत से ज्यादा खुलापन नुकसानदायक भी हो सकता है, खासकर पुरुष वर्ग के प्रति। होली में मिट्टी और गंदा पानी फेंकते समय हमें यह सोचना चाहिए कि यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है। यह अभद्रता को दर्शाता है। अगर कोई रंगों से नहीं खेलना चाहता है तो उस पर जबरदस्ती रंग नहीं डालना चाहिए।
कोशिश करनी चाहिए कि होली खेलते समय पानी का इस्तेमाल न करें। खासकर बच्चों के प्रति इस बात का ध्यान रखना चाहिए। ठंड के मौसम में ठंडे पानी से बच्चे बीमार भी पड़ सकते हैं। होली में जहां अच्छी चीजें हैं, वहीं हम बुरी चीजों को अपना रहे हैं। यह बहुत गलत है।
शांति और प्रेम से खेली जाने वाली होली होली का मुख्य रूप है। हमें बुराइयों को त्याग कर अच्छाइयों पर ध्यान देना चाहिए। सही मायनों में यही होली का सही स्वरूप होगा जिसकी तैयारी हम सबको मिलकर करनी है।
-नफे सिंह पुनिया
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News Source: https://royalbulletin.in/the-changing-format-of-holi-is-right-and-wrong/16670