उत्तर प्रदेश में आत्महत्या की घटना को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विशेष अभियान चलाने जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार इसके लिए अभियान शुरू करेगी अगर प्रदेश में जान है तो जहान है। इसकी तैयारी ताज़ी से चल रही है।Read Also:-विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में कोरोना से मरने वालों का जो आंकड़ा जारी किया उस रिपोर्ट पर भारत सरकार की आपत्ति, कहा- आंकड़े गलत हैं
मानसिक स्वास्थ्य में सुधार और आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए यूपी में विशेष अभियान चलाया जाएगा। अगर यह जाना जाता है, तो एक दुनिया है, इसे एक नाम दिया गया है। इस अभियान के माध्यम से उन लोगों को जीवन का महत्व समझाया जाएगा जो विभिन्न कारणों से उदास होकर अपना जीवन समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोगों की पहचान करने, उनकी काउंसलिंग करने, हेल्पलाइन के जरिए उनकी मदद करने समेत तमाम काम किए जाएंगे।
पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़ों पर ही नजर डालें तो पिछले पांच सालों में देश में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। वर्ष 2019 में 139123 के मुकाबले 2020 में 153052 लोगों ने आत्महत्या की। मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के बढ़ते आंकड़ों को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है। हालांकि यूपी का रिकॉर्ड देश के बाकी सभी बड़े राज्यों से काफी बेहतर है. इधर, यूपी ने यहां की स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठाए हैं। इसे आगरा से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के निर्देश पर शुरू किया गया है।
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, आगरा के निदेशक की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इसमें उप सीएमओ एवं एनसीडी के नोडल अधिकारी डॉ. पीयूष जैन को संयोजक, एसएन मेडिकल कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर विशाल सिन्हा, वरिष्ठ मनोविज्ञान चिकित्सक डॉ. एसपी गुप्ता और मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. रचना सिंह को संयोजक बनाया गया है। आगरा कॉलेज को सदस्य बनाया गया। है।
समिति समाज के सहयोग से रोकने का प्रयास करेगी
यह कमेटी समाज के विभिन्न वर्गों के प्रमुख लोगों को इस अभियान से जोड़ेगी। लोगों और खासकर युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की मानसिकता को हेल्पलाइन के माध्यम से रोकने के साथ-साथ जीने के लिए प्रेरित किया जाएगा। स्वयंसेवकों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न वर्गों के लोगों द्वारा मानसिक रोगों की पहचान और निदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। खास कर स्कूल-कॉलेजों में इसको लेकर अभियान चलाया जाएगा। वहां ऐसे बच्चों की पहचान कर उनकी काउंसलिंग करने के लिए शिक्षक तैयार होंगे।
उत्तर प्रदेश में सिर्फ तीन फीसदी केस
आत्महत्या के मामले में उत्तर प्रदेश के आंकड़े दूसरे राज्यों के मुकाबले काफी अच्छे हैं। यहां आत्महत्या करने वालों की संख्या बहुत कम है। एनसीआरबी के साल 2020 के आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में इस तरह के मामले सिर्फ 3.1 फीसदी हैं। जबकि महाराष्ट्र में कुल आत्महत्याओं का 13 प्रतिशत, तमिलनाडु में 11 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 9.5 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 8.6 प्रतिशत, कर्नाटक में 08 प्रतिशत, केरल में 5.6 प्रतिशत और तेलंगाना में 5.3 प्रतिशत है। गुजरात।
उत्तर प्रदेश से ज्यादा कानपुर में आत्महत्या के मामले
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020 में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले उत्तर प्रदेश के कानपुर में दर्ज किए गए। यह संख्या 417 थी। इस मामले में लखनऊ दूसरे स्थान पर रहा। यहां आत्महत्या के 383 मामले सामने आए। 115 मामलों के साथ आगरा तीसरे नंबर पर रहा।
देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें अब पाएं अपने WHATSAPP पर, क्लिक करें। Khabreelal के Facebookपेज से जुड़ें, Twitter पर फॉलो करें। इसके साथ ही आप खबरीलाल को Google News पर भी फॉलो कर अपडेट प्राप्त कर सकते है। हमारे Telegram चैनल को ज्वाइन कर भी आप खबरें अपने मोबाइल में प्राप्त कर सकते है।