
ग्वालियर में 18 घंटे के अंदर दो बार एक महिला की मौत हो गई। इसे पढ़कर आप अचंभित हो गए होंगे। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है। लेकिन कुछ ऐसा ही ग्वालियर के जयरोग्य अस्पताल के डॉक्टरों की घोर लापरवाही से हुआ। यहां डॉक्टरों ने महिला को जीवित घोषित कर शव को पोस्टमार्टम हाउस में पहुंचा दिया। परिजन महिला को स्ट्रेचर पर लेकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और उसे मृत समझकर फ्रीजर में रख रहे थे, तभी पति का हाथ पत्नी के लग गया। उसने अपनी पत्नी के दिल की धड़कन को चलते हुए पाया। डॉक्टर ने बिना ईसीजी कराए महिला को मृत घोषित कर दिया था।Read Also:-डेटिंग एप पर फ्रेंडशिप कर ठगी करने वाला गिरफ्तार, मॉडल की प्रोफाइल बनाकर करता था दोस्ती, साल भर में ठगे लिए 66 लाख रुपये
परिजनों के हंगामे के बाद महिला को भर्ती कर इलाज दोबारा शुरू किया गया। घटना शुक्रवार शाम 4.30 बजे की है। हालांकि इसके बाद महिला 18 घंटे और जिंदा रही। शनिवार सुबह साढ़े दस बजे महिला की मौत हो गई। इस बार डॉक्टर ने दो बार ईसीजी किया और 3-3 बार नब्ज चेक कर शव को मृत घर भेज दिया.

उत्तर प्रदेश के महोबा निवासी निर्पत सिंह राजपूत ने बताया कि 2 दिन पहले उसकी पत्नी जामवती बाइक से गिर गई थी। उन्हें छतरपुर के हरपालपुर के अस्पताल ले जाया गया। वहां से इसे झांसी रेफर कर दिया गया। झांसी के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया। फिर यहां से गुरुवार दोपहर उसे ग्वालियर के जयरोग्य अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। यहां के डॉक्टरों ने शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे महिला को मृत घोषित कर दिया। एनेस्थीसिया के डॉ इमरान और उस समय ट्रॉमा के प्रभारी डॉ किशन थे।
डॉक्टरों पर पहले ही इलाज रोकने का आरोप
महिला के पति निर्पत सिंह का कहना है कि डॉक्टरों ने शुक्रवार दोपहर तीन बजे से इलाज बंद कर दिया था। 4.30 बजे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद जब उन्होंने सांस को चलते हुए देखा तो उसे वहीं ले गए। फिर उसने इलाज शुरू किया। 18 घंटे के बाद उसने दम तोड़ दिया। परिजनों का कहना है कि मृत मानकर इलाज बंद करना गंभीर लापरवाही है। अगर उसका इलाज होता तो शायद वह जिंदा होती। निर्पत ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं, एक की उम्र 8 साल और दूसरे की उम्र 15 साल है। पत्नी की मृत्यु के बाद उसका क्या होगा?
मामले की जांच के लिए टीम गठित
जेएएच अधीक्षक डॉ आरकेएस धाकड़ का कहना है कि यह गंभीर लापरवाही है। वहां मौजूद डॉक्टरों को मौत का एलान करने से पहले ईसीजी करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पूरे मामले की जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है। मामले में लापरवाही करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ जांच के बाद जल्द कार्रवाई की जाएगी। अब डॉक्टर को इसे हटाने के लिए कहा गया है।

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