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तिरंगे से मिला तीन सौ महिलाओं को ‘जीवन’, आत्‍मनिर्भरता की ओर एक कदम

मेरी जान तिरंगा है, मेरी शान तिरंगा है…राष्ट्रीय एकता, सद्भाव, गौरव और अखंडता का प्रतीक हैं तिरंगा। स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराकर हम सभी गौरव का अनुभव करते हैं। सिर्फ तिरंगा फहराना ही नहीं, इसके बाद तिरंगा संभाल कर रखना भी आवश्यक है। लोग झंडा फहराने के बाद इसका दुरुपयोग न कर सकें, इसके लिए मेरठ के 26 वर्षीय दुर्गेश ठाकुर ने एक नई पहल की है।

उनकी संस्था उद्गम न सिर्फ इस समय तीन सौ महिलाओं को झंडा बनाने का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार प्रदान कर रही हैं, बल्कि झंडा लेने वालों से उनका आग्रह है कि वे झंडा फहराने के लिए उन्हें वापस भी कर सकते हैं। अक्सर लोग झंडा फहराने के बाद उसका सम्मान करना भूल जाते हैं।

मीनाक्षीपुरम निवासी दुर्गेश बताते हैं कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाने के बाद लोग झंडे सम्मान करना भूल जाते हैं, और इधर-उधर रख देते हैं। अपने अभियान के तहत हम लोगों से झंडा फहराने के बाद उसे वापस करने की अपील कर रहे हैं।

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