लॉकडाउन के चलते 68 दिन बाद 1 जून से शुरू हुई रोडवेज बस सेवा यात्रियों के लिए तरस गई है। मानक संचालन प्रक्रिया के तहत शुरू की गई सेवा को तीन दिन में करीब 2000 यात्री ही मिल सके हैं। जबकि आम दिनों में प्रतिदिन 70 हजार यात्री सफर करते थे। मामले की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई है।
लॉकडाउन में रोडवेज का संचालन 68 दिन बंद रहा। इससे विभाग को 61 करोड़ की आय का नुकसान हुआ है। शासन के निर्देशों पर 1 जून से बसों का संचालन शुरू होने के बाद सोमवार को करीब 200 यात्रियों, मंगलवार को 800 और बुधवार को भी करीब 1000 यात्री ही पहुंच सके। तीन दिन में विभाग को केवल 2000 यात्री ही मिल सके।
रोडवेज एमडी ने गाइडलाइन जारी करते हुए 60 फीसदी लोड फैक्टर वाले रूटों पर ही बस चलाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, आगरा, लखनऊ, शामली, गाजियाबाद, मुरादाबाद आदि रूटों पर बस सेवा शुरू की गई। यह सभी 60 फीसदी से कमाई वाले रूट हैं। लेकिन कोरोना काल में इनका भी हाल खराब है।
लंबी दूरी वाले रूटों पर 35 से 40 फीसदी लोड फैक्टर आ रहा है। लोकल रूटों पर लोड फैक्टर 15 से 20 फीसदी है। एक बस में 4 से 5 सवारी को भी मंजिल तक पहुंचना पड़ रहा है। इससे संविदा चालक-परिचालक का मानदेय भी नहीं निकल पा रहा है।
रोडवेज मेरठ रीजन के आरएम नीरज सक्सेना का कहना है कि यात्रियों की सुविधा के लिए बसों का संचालन शुरू किया गया है, लेकिन यात्री बेहद कम आ रहे हैं। इससे विभाग को घाटा उठाना पड़ रहा है। अगर हालात ऐेसे बने रहे तो बसों का संचालन मुश्किल हो जाएगा। मामले की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई है|