कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में उत्तर प्रदेश मे बड़ी मात्रा मे सैनिटाइजर की जरूरत महसूस की जा रही थी और इसकी बडी किल्लत थी, लेकिन राज्य सरकार के प्रयास से न इसकी कमी दूर हो गई बल्कि अब इसे दूसरे राज्यों मे भी भेजा जाने लगा है।
आबकारी विभाग ने हैंड सैनिटाइजर बनाने और बेचने के लिये लाइसेंस की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी है। राज्य मे अब बडे पैमाने पर हैंड सैनिटाइजर का निर्माण हो रहा है और बाजार मे इसकी कीमत भी काफी कम हो गई है। शुरुआती दौर मे दवा दुकानदारों ने ऊंची कीमत पर सैनिटाइजर बेचे थे।
पिछले 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू होते ही राज्य सरकार ने सभी चीनी मिलों को सैनिटाइजर बनाने का निर्देश दे दिया था। सरकार के आदेश के बाद चीनी मिल इसे बनाने मे लग गयी। धीरे-धीरे इसका उत्पादन बढ़ता गया और अभी हालात यह कि उत्तर प्रदेश से अन्य राज्यों मे सैनिटाइजर भेजा जा रहा है। चीनी मिलों के अलावा अन्य इकाइयों मे भी हैंड सैनिटाइजर बनाए जा रहे हैं।
लखनऊ के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी रिसर्च ने भी इसका निर्माण शुरू किया और 200 लीटर लखनऊ नगर निगम और 200 लीटर पुलिस विभाग को दिया । अब बहुत से राज्य उत्तर प्रदेश से हैंड सैनिटाइजर की मांग कर रहे हैं।