लॉकडाउन के बाद दूसरे प्रदेशों से लौटे प्रवासियों का सबसे अधिक दबाव पूर्वांचल और अवध के जिलों में है। पहले से ही पिछड़ेपन और तंगहाली के शिकार पूर्वांचल के जिलों में इस अतिरिक्त वर्क फोर्स ने चुनौती बढ़ा दी है। प्रदेश सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की जिला स्तर पर स्किल मैपिंग कराई है। मसलन, श्रमिक कहां से आया है? वहां उसका काम क्या था? वह स्किल्ड लेबर है या अनस्किल्ड? किस काम में दक्षता है? रोजगार का इच्छुक है या नहीं? महिला-पुरुष, ट्रांसजेंडर और 18 वर्ष से कम के बच्चों की भी सूचना जुटाई जा रही है। 21 जून तक 35.38 लाख से अधिक श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। इनमें गोंडा व बहराइच सहित 10 जिले ऐसे हैं जहां एक लाख से भी अधिक लोग आए हैं। जौनपुर, सिद्धार्थनगर व आजमगढ़ में तो यह आंकड़ा दो लाख पार कर गया है। 15 जिले ऐसे हैं जहां 1 लाख से कम लेकिन 50 हजार से अधिक प्रवासी हैं। रोजगार की जरूरत इन्हीं 25 जिलों में अधिक है।
प्रदेश के 75 में से 28 जिलों को मिलाकर पूर्वांचल के रूप में चिह्नित किया गया है। इनमें ज्यादातर अवध के जिले हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार पूर्वांचल में राज्य की जनसंख्या के 40.23 प्रतिशत लोग रहते हैं, लेकिन सकल जिला घरेलू उत्पाद के अनुमानों में राज्य की अर्थव्यवस्था में पूर्वांचल का योगदान 26.77 प्रतिशत (वर्ष 2018-19) ही है।