वेस्ट यूपी में हत्या का ट्रेंड बदला है। अब अपराधी हत्या करके लाश को नष्ट करने की कोशिश करते हैं। दरअसल, इसके पीछे वजह यह होती है कि जब तक लाश बरामद नहीं होगी, तब तक उन पर हत्या का दोष साबित नहीं हो सकता।
कानून के इस लचीलेपन का अपराधी खूब फायदा उठा रहे हैं। दबी जुबान से पुलिस अफसर इस बात को स्वीकारते हैं कि इस तरह की हत्याओं में अपराधियों को राय देने में कहीं न कहीं कानून के जानकारों का भी हाथ होता है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल मानते हैं कि लाश बरामद न होने की दशा में केस बेहद कमजोर हो जाता है। अदालत में अपराधी को इसका लाभ मिल जाता है। वह इस बात से भी इत्तेफाक रखते हैं कि इस तरह के मामलों में कानून के जानकारों की राय भी होती है, तभी अपराधी हत्या करके लाश को नष्ट करता है। उन्होंने स्वीकारा कि ज्यादातर बड़े अपराधियों के कानून के जानकार लोगों से अच्छे संबंध होते हैं और समय-समय पर वे इसका फायदा भी उठाते हैं।
मेरठ कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता (क्रिमिनल) संजीव कुमार आत्रेय कहते हैं कि ज्यादातर मामलों में लाश नष्ट करने का उद्देश्य हत्या के आरोप से बचना होता है। इसलिए अपराधी ऐसा कृत्य करते हैं।